Ant and the Dove moral story in hindi

एक बार की बात है, बहुत भीषण गर्मी के दिन थे| उस गर्मी में एक छोटी सी चींटी पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। कुछ देर घूमने के बाद उसने एक नदी देखी और उसे देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई। वह पानी पीने के लिए एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गई, लेकिन वहां से वह फिसल गई|

वह बेचारी अपने आप को संभल नहीं सकी और नदी में गिर गई। वह डूब रही थी| वहां पास ही एक पेड़ था जिसपर एक कबूतर बैठा था| उसने नदी में चींटी को डूबते हुए देखा| उसने उसकी मदद करनी चाही। कबूतर ने झट से एक पत्ता पानी में गिरा दिया।

चींटी ने पत्ता देखा और उसकी ओर बढ़ी और उस पर चढ़ गई। फिर कबूतर ने ध्यान से पत्ते को बाहर निकाला और जमीन पर रख दिया। इस तरह उसने चींटी की जान बचा दी| चींटी ने बहार निकल कर सबसे पहले कबूतर का शुक्रिया किया और उससे कहा कि वह हमेशा उसकी ऋणी रहेगी।

चींटी और कबूतर सबसे अच्छे दोस्त बन गए थे और दिन खुशी से बीतते जा रहे थे। लेकिन एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने पेड़ पर बैठे सुंदर कबूतर को देखा और अपनी बंदूक से कबूतर पर निशाना साधा। जिस चींटी को कबूतर ने बचाया था, उसने यह शिकारी को देख लिया|

जैसे वह बन्दुक चालता, चींटी ने उसकी एड़ी पर काट लिया। वह दर्द से चिल्लाया और बंदूक गिरा दी। कबूतर शिकारी की आवाज से घबरा गया और उसे एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो सकता है। वह वहां से जल्दी से उड़ गया!

शिक्षा: हमारे द्वारा किये गए अच्छे काम कभी बेकार नहीं जाते।