उसने अपनी कुल्हाड़ी को नदी में बहुत ढूँढा लेकिन उसे नहीं मिली। वह निराश होकर वहीं नदी के किनारे बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगा।
उसके रोने की आवाज़ सुनकर, नदी में से वरुण देव बाहर आए और उससे पूछने लगे कि क्या हुआ। लकड़हारे ने उन्हें सारी कहानी सुनाई। सारी बात सुनकर भगवान ने कहा कि मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी, नदी में से ढूँढने की कोशिश करता हूँ।