हिन्दी वर्णमाला (Hindi Alphabets)
भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण कहलाती हैं यह स्वर और व्यंजन इसका अंग है। वर्ण या अक्षर वह छोटी से छोटी ध्वनि है जिसके टुकड़े नहीं किये जा सकते है।
वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ
ऋ ओ औ अं अः
क ख ग घ ड.
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह
क्ष त्र ज्ञ
श्र ड़ ढ़
हिंदी में कितने वर्ण होते हैं ?
हिंदी भाषा में कुल 52 वर्ण होते है जिन्हें दो भागों में बांटा गया है –
- स्वर
- व्यंजन
स्वर वर्ण (Hindi Vowels)
जिन वर्णों के उच्चारण में स्वाँस-वायु बिना किसी रुकावट के मुँह से निकलती हैं, उन्हें स्वर कहते हैं।
यह हिंदी वर्णमाला में 13 होते हैं- अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ए,ऐ,ऋ,ओ,औ,अं,अः
नोट: पारंपरिक वर्णमाला में ‘अं ’ और ‘अः’ को स्वरों में गिना जाता है , परंतु उच्चारण की दृष्टि से यह व्यंजन के ही रूप है।
‘अं ’ को अनुस्वर और ‘अः’ को विसर्ग कहा जाता है। यह हमेशा स्वर के बाद ही आते हैं जैसे – इंगित , अंक , अतः , प्रातः विसर्ग का प्रयोग हिंदी में प्रचलित संस्कृत शब्दों में से होता है।
स्वर के भेद (types of Hindi vowels)
उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों को तीन भागों में बाँटा गया हैं-
- ह्रस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
ह्रस्व स्वर (short vowels in Hindi)
वे वर्ण जिनके के उच्चारण में सबसे कम समय लगता है, उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। इनकी कुल संख्या 4 हैं।
जैसे- अ, इ, उ, ऋ। इनके उच्चारण में जो समय लगता है उसे एक मात्रा का समय कहते हैं।
ह्रस्व स्वरों को मूल स्वर भी कहते हैं।
दीर्घ स्वर (long vowels in Hindi)
जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। इनकी कुल संख्या 7 हैं।
जैसे- आ , ई , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ।
प्लुत स्वर
प्लुत स्वर उन स्वरों को कहते हैं जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से लगभग तीन गुना (2 मात्राओं से) अधिक समय लगता हैं।
जैसे- ओ३म्
व्यंजन वर्ण (Hindi consonant)
व्यंजन उन वर्णों को कहते हैं जिनका उच्चारण स्वर की सहायता से होता है। इन वर्णों के उच्चारण में वायु रुकावट के साथ मुँह से बाहर निकलती है। यह हिंदी वर्णमाला में 39 होते हैं- क, ख, ग, घ, ड., च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल,व, श, ष, स, ह, ड़, ढ़।जिनमें चार संयुक्त व्यंजन ( क्ष , त्र , ज्ञ , श्र ) भी शामिल है।
व्यंजन के भेद (types of Hindi consonant)
उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन वर्णों को तीन प्रकार से विभाजित किया गया है-
- स्पर्श व्यंजन
- अंतःस्थ व्यंजन
- उष्म व्यंजन
स्पर्श व्यंजन
जिन व्यंजनों के उच्चारण में अगर जिह्वा मुँह के किसी भाग को स्पर्श करती है तथा वायु कुछ क्षण के लिए रुककर झटके के साथ बाहर निकलती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं।
क से लेकर म तक होते हैं। इनकी संख्या 25 होती हैं। प्रत्येक वर्ग में पांच अक्षर होते हैं।
क वर्ग : क ख ग घ ङ
च वर्ग : च छ ज झ ञ
ट वर्ग : ट ठ ड ढ ण
त वर्ग : त थ द ध न
प वर्ग : प फ ब भ म
अंतःस्थ व्यंजन
वे वर्ण जिनके उच्चारण करने के लिए वायु को थोड़ा रोककर कम शक्ति के साथ छोड़ा जाता है, वे अन्तःस्थ कहलाते हैं। ये स्वर तथा व्यंजनों के मध्य (अन्तः) में स्थित होते हैं।
इनकी संख्या 4 होती है।
य, र, ल, व
उष्म व्यंजन
जिन वर्णों का उच्चारण करने के लिए वायु को धीरे-धीरे रोककर रगड़ के साथ निकाल दिया जाता है , उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं।
इनकी संख्या भी 4 होती है।
श, ष, स, ह
संयुक्त व्यंजन (combined consonant)
जो वर्ण दो वर्णों के मेल से बनते है उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते है। ये चार होते है। जैसे-
क् + ष् = क्ष
त् + र् = त्र
ज् + ञ् = ज्ञ
श् + र् = श्र
वर्णों के उच्चारण का स्थान (स्वर और व्यंजन)
वर्णों का उच्चारण करते समय वायु मुँह के जिन भागों से टकरा कर बाहर निकलती है तथा जिह्वा मुँह के जिन भागों का स्पर्श करती है अथवा जिन भागों के पास जाकर मुड़ती है और वायु को रोकती है, मुँह के वे सब भाग वर्णों के उच्चारण स्थान कहलाते हैं।
स्वर और व्यंजन के उच्चारण के लिए मुँह के विभिन्न भागो का प्रयोग होता हैं।
स्थान | स्वर | व्यंजन | अंतःस्थ | ऊष्म | वर्ण का प्रकार |
1. कंठ | अ,आ | क, ख, ग, घ, ङ | – | ह | कंठ्य |
2. तालु | इ, ई | च, छ, ज, झ, ञ | य | श | तालव्य |
3. मूर्धा | ऋ | ट, ठ, ड, ढ, ण | र | ष | मूर्धन्य |
4. दंत | – | त, थ, द, ध, न | ल | स | दंत्य |
5. ओष्ठ | उ, ऊ | प, फ, ब, भ, म | – | – | ओष्ठ्य |
6. नासिका | – | अं, ङ, ञ, ण, न, म | – | – | नासिक्य |
7. कंठतालु | ए, ऐ | – | – | – | कंठतालव्य |
8. कंठोष्ठ | ओ, औ | – | – | – | कंठोष्ठ्य |
9. दंतोष्ठ | – | – | व | – | दंतोष्ठ्य |