नीला सियार-moral story in Hindi
नीला सियार की कहानी हमें यह सिखाती है कि अहंकार और चालाकी अंततः पतन की ओर ले जाती है। सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलने में ही वास्तविक सफलता और सम्मान की प्राप्ति होती है।

कहानी से सीख (Moral of The Story)
Krishna Jain
Last updated Apr 01th, 2024
जंगल का चालाक नीला सियार
घने जंगल में एक सियार रहता था, जिसकी चालाकी के चर्चे सारे जंगल में थे। एक दिन, जब वह भोजन की खोज में निकला, तो बस्ती के कुत्तों ने उसे घेर लिया। वह डर कर भागा और एक ड्रम में जा गिरा, जो नीले रंग से भरा था।

घने जंगल में एक सियार: रंगबद्धता की चाल
जब सियार ड्रम से निकला, तो उसका शरीर पूरी तरह से नीले रंग में रंग गया था। वह खुद को आईने में देखकर मुस्कुराया और बोला, “अब मैं कितना अलग दिखता हूँ!”
जंगल में वापस आकर, नीला सियार ने अपने नए रूप का लाभ उठाया। जब जानवर उसे देखकर डरने लगे, तो उसने घोषणा की, “मेरे प्रिय जानवरों, डरो मत। मैं एक दिव्य प्राणी हूँ, जिसे ब्रह्मा ने भेजा है। अब से, मैं तुम्हारा राजा हूँ।”

दिन बीतते गए, और सियार ने जानवरों को अपनी बातों में उलझाए रखा। उसने कहा, “तुम सभी को मेरी आज्ञा का पालन करना होगा और मेरी राजसी सेवा में लगे रहना होगा।”
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नीला सियार का धोखा: असलियत का पर्दाफाश
फिर एक रात, जब चंद्रमा ने जंगल को उजाले से भर दिया और दूर के जंगल से सियारों की आवाज़ें आईं, नीला सियार अपने असली रंग में आ गया। उसने चंद्रमा की ओर देखा और अपनी प्राकृतिक प्रवृत्ति का पालन करते हुए ‘आह!’ करके चिल्लाया।
उसकी आवाज़ सुनकर अन्य जानवर इकट्ठा हुए और उन्होंने पहचान लिया कि यह तो एक सियार है, न कि कोई दिव्य प्राणी। शेर ने कहा, “तो तुम हमें बेवकूफ बना रहे थे!” और उसके बाद उस धोखेबाज़ सियार का पर्दाफाश हो गया।
नीला सियार की यह कहानी हमें सिखाती है कि असलियत और सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकता। चालाकी और झूठ की दुनिया कभी भी स्थायी नहीं होती, और अंत में सच ही विजयी होता है।