The hare and the tortoise moral story in hindi

खरगोश और कछुआ की कहानी

इस कहानी में, हम सीखते हैं कि घमंड हमेशा हमें नीचा दिखाता है और धैर्य व स्थिरता सफलता की कुंजी हैं। यह हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी क्षमताओं पर अत्यधिक गर्व नहीं करना चाहिए और दूसरों को कम आंकना नहीं चाहिए। माता-पिता के रूप में, हमें अपने बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वे हमेशा धैर्यवान और लगातार प्रयास करें, क्योंकि यही उन्हें जीवन में सफलता दिलाएगा।

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कहानी से सीख (Moral of The Story)

Krishna Jain

Last updated March 27th, 2024

एक बार की बात है, एक बहुत घना जंगल था। वहाँ बहुत प्रकार के जानवर रहते थे। उनमें से था एक ख़रगोश, जो अपने आप पर बहुत घमंड करता था। वह हमेशा किसी न किसी जानवर का नीचा दिखता रहता था।

एक दिन, ख़रगोश ने एक कछुए को देखा जो कि अपनी पीठ पर एक भारी खोल के साथ धीरे-धीरे चलकर कही जा रहा था।

ख़रगोश को खुद पर बहुत गर्व था। उसने सोचा कि अगर वे कछुए के साथ दौड़ लगाएगा तो वह आराम से जीत जाएगा।और फिर बड़े गर्व से उसे नीचा दिखा सकेगा।

rabbit and tortoise ready to start their race, with an excited crowd of other animals watching in anticipation. (1)

उसी गर्व से उसने कछुए से पूछा, “क्या हम दोनों के बीच में एक दौड़ हो सकती है?”कछुआ राजी हो गया। आस पास के सभी जानवर भी वहाँ आ गए। दौड़ के नियम भी तय हुए।

दौड़ का आरंभ

“मैं तुम्हें हरा दूंगा!” खरगोश ने उत्साह से कहा, जबकि कछुआ सिर्फ मुस्कुराया। दौड़ की शुरुआत हुई, और खरगोश ने तेजी से बढ़त बना ली। वह वन की पथरीली राहों पर फुर्ती से दौड़ा, झाड़ियों को छलांग लगाकर पार किया, और बड़ी चट्टानों को पार कर गया।

खरगोश का आत्मविश्वास और विश्राम

मध्यांतर में, खरगोश ने खुद को इतना आगे पाया कि उसने विश्राम करने का निर्णय लिया। “मैं इतना तेज हूं कि कछुआ मुझे कभी नहीं पकड़ सकता,” उसने सोचा और एक पेड़ के नीचे सो गया।

कछुआ की लगन और विजय

इस बीच, कछुआ अपनी स्थिर गति से, बिना रुके, अपने पथ पर चलता रहा। वह धीरे-धीरे परंतु निरंतर गति से आगे बढ़ता गया, और अंततः, जब खरगोश अभी भी सो रहा था, उसने दौड़ को जीत लिया।

थोड़ी देर में जब ख़रगोश की नींद खुली तो उसने देखा कि सब जानवर कछुए को जीत की बधाई दे रहे है। ख़रगोश का सर नीचे हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास भी हुआ। वह वहाँ से चुप चाप चला गया।


कहानी अभी खत्म नहीं हुई है

खरगोश और कछुआ: दूसरी दौड़प्रस्तावना

पिछली हार से सबक लेकर, खरगोश ने अपनी रणनीति में सुधार किया और दूसरी दौड़ के लिए तैयार हुआ। इस बार, उसका पूरा ध्यान लक्ष्य पर केंद्रित था।

मुख्य कथा

दौड़ शुरू होते ही, खरगोश ने अपनी तेजी से बढ़त बना ली और इस बार उसने बीच में आराम नहीं किया। निरंतर गति से दौड़ते हुए, उसने साबित किया कि उसने अपनी पिछली गलतियों से सीखा है।

समापन और नैतिक शिक्षा

खरगोश ने दौड़ जीती, दर्शाते हुए कि विफलता से सीख लेकर और सुधार करके सफलता प्राप्त की जा सकती है। इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि असफलताएँ हमें अधिक सजग और सक्षम बनाती हैं।

खरगोश और कछुआ: तीसरी दौड़

प्रस्तावना

कछुआ, अपनी चतुराई से, एक नई चुनौती लेकर आया, जिसमें दौड़ का मार्ग नदी को पार करता था।

मुख्य कथा

दौड़ शुरू हुई और खरगोश ने तेजी से नदी के किनारे तक का सफर तय किया। लेकिन नदी के किनारे पहुँचकर उसे रुकना पड़ा, क्योंकि वह तैर नहीं सकता था। इस बीच, कछुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ा और नदी पार कर गया।

नैतिक शिक्षा: अपनी ताकत का सही उपयोग

यह घटना हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी ताकत और कमजोरियों का सही विश्लेषण करना चाहिए और परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाना चाहिए। कछुए की जीत ने इस बात को प्रमाणित किया।

Here are rabbit congratulating a tortoise for winning a race (1)

सहयोग की शक्ति

अंत में, खरगोश और कछुआ दोनों ने महसूस किया कि उनके पास अलग-अलग ताकतें और कमजोरियां हैं और यदि वे एक दूसरे के साथ सहयोग करें, तो वे अधिक सफल हो सकते हैं। इसलिए, उन्होंने एक टीम के रूप में काम करने का निर्णय लिया। खरगोश ने कछुए को सूखी जमीन पर अपनी पीठ पर बैठाया और तेजी से दौड़ा, और जब पानी आया, तो कछुआ ने खरगोश को अपनी पीठ पर लेकर नदी को पार किया। इस प्रकार उन्होंने मिलकर अन्य प्रतिस्पर्धियों को पछाड़ दिया।

नैतिक शिक्षा: सहयोग की महत्वपूर्णता

इस अंतिम कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सहयोग और टीमवर्क हमें उन चुनौतियों को पार करने में मदद करते हैं, जो अकेले में पार करना मुश्किल होता है। जब हम एक दूसरे की ताकत का समर्थन करते हैं और कमजोरियों को पूरा करते हैं, तो हम अधिक सफलता और विजय प्राप्त कर सकते हैं।

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  • Krishna Jain

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