ख़रगोश और कछुए की कहानी- moral story in hindi


एक बार की बात है, एक बहुत घना जंगल था। वहाँ बहुत प्रकार के जानवर रहते थे। उनमें से था एक ख़रगोश, जो अपने आप पर बहुत घमंड करता था। वह हमेशा किसी न किसी जानवर का नीचा दिखता रहता था।

एक दिन, ख़रगोश ने एक कछुए को देखा जो कि अपनी पीठ पर एक भारी खोल के साथ धीरे-धीरे चलकर कही जा रहा था।

ख़रगोश को खुद पर बहुत गर्व था। उसने सोचा कि अगर वे कछुए के साथ दौड़ लगाएगा तो वह आराम से जीत जाएगा।और फिर बड़े गर्व से उसे नीचा दिखा सकेगा।

प्रातःकाल के भ्रमण का महत्व-short essay in Hindi

उसी गर्व से उसने कछुए से पूछा, “क्या हम दोनों के बीच में एक दौड़ हो सकती है?”

कछुआ राजी हो गया। आस पास के सभी जानवर भी वहाँ आ गए। दौड़ के नियम भी तय हुए। नियम के अनुसार जगह भी तय की गई की दौड़ कहा से शुरू होगी और कहा पर खतम होंगी।

उन्होंने दौड़ना शुरू किया। ख़रगोश ने बहुत तेज़ी से दौड़ना शुरू किया। लेकिन कछुआ बहुत धीमी गति से चलने लगा।

कुछ देर बाद, ख़रगोश ने पीछे देखा और सोचा कि कछुआ तो बहुत पीछे रहे गया। क्यूँ ना वो थोड़ी देर आराम कर ले? जैसे ही कछुआ आएगा वह जल्दी से दौड़ने लगेगा।

गर्वित ख़रगोश एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा और जल्द ही वह सो गया। लेकिन कछुआ अपनी चाल के अनुसार ही, धीरे-धीरे और स्थिर होकर चलता रहा।

उसने ख़रगोश को देखा की वह सो रहा है लेकिन वह अपना धीरे-धीरे चलता रहा और लक्ष्य तक पहुँच गया। अंत में, कछुए ने रेस जीती।

थोड़ी देर में जब ख़रगोश की नींद खुली तो उसने देखा कि सब जानवर कछुए को जीत की बधाई दे रहे है। ख़रगोश का सर नीचे हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास भी हुआ। वह वहाँ से चुप चाप चला गया।

शिक्षा:

अभिमान गिरने से पहले जाता है। moral story in hindi

Categories: BlogsMoral Story

0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *