दर्जी और हाथी की कहानी- Moral story in Hindi

1.रवि, दयालु दर्जी

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक कुशल दर्जी रवि रहते थे। रवि के नाम से उनकी दुकान की सफाई और उनके सुंदर कपड़ों की वजह से उनको पूरे गांव में प्यार और सम्मान मिलता था। सभी लोग रवि की महानता को पहचानते थे।

एक दिन, गांव में यह खबर फैल गई कि पास के मंदिर में एक महापुरुष आए हैं।

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गांव के लोग मंदिर में उनका आशीर्वाद लेने और उनकी समझदारी सुनने के लिए उत्साहित हो गए। रवि भी खुशी-खुशी भीड़ में शामिल हो गए, क्योंकि वह भी महापुरुष को देखने और उनकी बातें सुनने के लिए उत्सुक थे।

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जब रवि मंदिर में पहुंचा, तों वहीं दरवाजे के पास एक हहकार सुनाई दिया।

वहां एक हाथी मंदिर के चौक में आ गया था, जिसके कारण भक्तों में हहकार मच गई। यह बड़ा जानवर परेशान लग रहा था, और उसकी मौजूदगी ने मंदिर की शांत वातावरण को बिगाड़ दिया।

गांव के लोग भयभीत होकर दूर भाग गए, क्योंकि इस जानवर के अनिश्चित व्यवहार से वे डर गए।

लेकिन रवि, दया के प्रकाश से प्रेरित होकर धीरे से हाथी के पास गये। उनको पता चला कि यह पूरी तरह परेशान था, क्योंकि उसके पांव में एक कांटे की चुभन थी जो उसको बहुत दर्द दे रही थी।

रवि ने हिम्मत से कांटा निकाला और हाथी के चोट की देखभाल की। हाथी शांत हो गया, रवि की असली चिंता समझ गया।

इस दया की खबर मंदिर के अंदर बैठे महापुरुष तक जल्द ही पहुंच गई।

उनको रवि की प्रशंसा सुन कर आकर्षित होकर उन्होने रवि से मिलने का फैसला किया। रवि बहुत खुश और सम्मानित होकर महापुरुष के साथ मंदिर में गया।

अंदर, महापुरुष एक शानदार कुर्सी पर बैठकर समझदारी और शांति से खड़े थे। उन्होने रवि को अपने पास बैठने के लिए इशारा किया और बात करना शुरू की। “रवि, आज के दिन तुम्हारे कर्मों ने इंसानियत की सच्चाई को प्रकट कर दिया है।

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तुम्हारी मदद करने की दया और बहादुरी ने इस मंदिर में खुशी और एकता ला दी है।”

महापुरुष ने जारी रखा, “मेरे प्रिय दोस्त, मुझे तुम्हारे लिए एक विशेष तोहफा है। मेरी प्रशंसा के रूप में, मैं तुम्हें उन लोगों की गुप्त इच्छाएं सुनने की क्षमता देता हूँ जो तुम्हारे कपड़े पहनते हैं।

प्यार और सहनशीलता से सिलाई करने के मध्यम से, तुम सिर्फ शरीर को ही नहीं, बल्कि उन लोगों के दिलों को भी छू सकते हो जो तुम्हारे कपड़े पहनते हैं।”

रवि, प्रबल धन्यवाद से उनके सामने झुक गए और उनको शुक्रिया कहा। उन्होने वादा किया कि यह उपहार हमेशा समझदारी से इस्तेमाल करेंगे और अपने गांव की सेवा में और भी ज्यादा समर्पित रहेंगे।

उस दिन के बाद से, रवि के कपड़े और भी अधिक गांव के लोगों के दिलों में लिए जाते थे।

लोग दूर से आते जाते, रवि की शानदार सिलाई कला के अलावा उसमे भरपूर प्यार और सहनशीलता का अनुभव भी करते थे। रवि के कपड़े मन और शरीर दोनों को सजाते थे।

गांव में खुशी, सहनशीलता और समरस्ता का वातावरण बढ़ गया। एक समय तो यह गांव में विभाजन था, लेकिन अब लोग एक दूसरे को अपनाने लगे, समझ गए कि समर्पण और दया से दुनिया बदल सकती है।

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हाथी भी गांव के लोगों का प्रिय रह गया, जो एक छोटे दर्जी ने सही समय पर असली सहनशीलता दिखाकर दिखाया था।

और इस तरह, दयालु दर्जी रवि और हाथी की कहानी एक ऐतिहासिक दास्तान बन गई, जो बड़े से छोटे तक गांव में गड़ी जाती है।

यह एक उपदेशक कथा बनी, जो लोगों को याद दिलाती है कि छोटे-से-छोटे नेकी करने की क्षमता कितनी बड़ी होती है।

अंत में, गांव प्यार, सहनशीलता और समंजस्य से उमड़ गया, और रवि सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे, जानते थे कि उनकी सिलाई ने उनके आस-पास के लोगों के जीवन में अंतर ला दी है।

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2.Darji aur hathi ki kahani hindi

एक सुदूर गाँव में, एक दर्जी था जो अपनी सूझबूझ और कौशल के लिए प्रसिद्ध था। उसकी दुकान गाँव के बाहर एक सड़क पर थी, जहां से एक हाथी अक्सर गुज़रता था।

हाथी और दर्जी के बीच एक अनोखी दोस्ती थी। दर्जी हर दिन हाथी को मीठे फल खिलाता था, और हाथी अपनी सूँड़ से दर्जी को हल्के से छू कर अपना स्नेह प्रकट करता था।

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एक दिन, दर्जी की अनुपस्थिति में, उसका बेटा दुकान पर बैठा था। हाथी, जैसे ही उसने अपनी सूँड़ दुकान के अंदर डाली, दर्जी के बेटे ने उसे देखा और अचानक सुई से उसके सूँड़ में चुभन कर दी।

हाथी के मन में गहरा दर्द और अपमान का भाव आया। उसने ठान लिया कि वह इस अन्याय का बदला लेगा। हाथी तालाब में नहाने गया और लौटते समय उसने अपने सूँड़ में कीचड़ भर लिया।

जब वह दर्जी की दुकान के पास पहुंचा, तो उसने सूँड़ से कीचड़ दुकान के अंदर फेंक दिया। इससे दुकान में रखे सभी नए कपड़े और दर्जी का बेटा दोनों कीचड़ से सन गए।

जब दर्जी को इस घटना का पता चला, तो उसे अपने बेटे के कार्य पर गहरा पछतावा हुआ। उसने अपने बेटे को समझाया कि बदले की भावना से कुछ हासिल नहीं होता और उसे हाथी से माफी मांगने के लिए कहा।

अगले दिन, दर्जी हाथी के पास गया, उसे फल खिलाया, और उसके सर पर हाथ फेरकर माफी मांगी। हाथी ने भी दर्जी को माफ कर दिया, और इस तरह उनकी दोस्ती फिर से बहाल हो गई।

दर्जी और हाथी की कहानी यह सिखाती है कि गलतियों को सुधारना और माफी मांगना महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह कहानी यह भी बताती है कि संवेदनशीलता और समझदारी से ही सच्चे संबंध बनते हैं और टिकते हैं।

Author

  • Krishna Jain

    "Stories possess a unique power to inspire and move us" Through my writing, I aim to share my deepest thoughts, emotions, and insights. I invite readers to join me on a journey into the transformative world of words. Writing Experience: Over 10 years of writing experience. Editing Experience: Served as an editor at various publishing houses, gaining extensive editing experience.

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