रवि, दयालु दर्जी – Moral story in Hindi
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एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक कुशल दर्जी रवि रहते थे। रवि के नाम से उनकी दुकान की सफाई और उनके सुंदर कपड़ों की वजह से उनको पूरे गांव में प्यार और सम्मान मिलता था। सभी लोग रवि की महानता को पहचानते थे।
एक दिन, गांव में यह खबर फैल गई कि पास के मंदिर में एक महापुरुष आए हैं।
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गांव के लोग मंदिर में उनका आशीर्वाद लेने और उनकी समझदारी सुनने के लिए उत्साहित हो गए। रवि भी खुशी-खुशी भीड़ में शामिल हो गए, क्योंकि वह भी महापुरुष को देखने और उनकी बातें सुनने के लिए उत्सुक थे।
जब रवि मंदिर में पहुंचा, तों वहीं दरवाजे के पास एक हहकार सुनाई दिया।
वहां एक हाथी मंदिर के चौक में आ गया था, जिसके कारण भक्तों में हहकार मच गई। यह बड़ा जानवर परेशान लग रहा था, और उसकी मौजूदगी ने मंदिर की शांत वातावरण को बिगाड़ दिया।
गांव के लोग भयभीत होकर दूर भाग गए, क्योंकि इस जानवर के अनिश्चित व्यवहार से वे डर गए।
लेकिन रवि, दया के प्रकाश से प्रेरित होकर धीरे से हाथी के पास गये। उनको पता चला कि यह पूरी तरह परेशान था, क्योंकि उसके पांव में एक कांटे की चुभन थी जो उसको बहुत दर्द दे रही थी।
रवि ने हिम्मत से कांटा निकाला और हाथी के चोट की देखभाल की। हाथी शांत हो गया, रवि की असली चिंता समझ गया।
इस दया की खबर मंदिर के अंदर बैठे महापुरुष तक जल्द ही पहुंच गई।
उनको रवि की प्रशंसा सुन कर आकर्षित होकर उन्होने रवि से मिलने का फैसला किया। रवि बहुत खुश और सम्मानित होकर महापुरुष के साथ मंदिर में गया।
अंदर, महापुरुष एक शानदार कुर्सी पर बैठकर समझदारी और शांति से खड़े थे। उन्होने रवि को अपने पास बैठने के लिए इशारा किया और बात करना शुरू की। “रवि, आज के दिन तुम्हारे कर्मों ने इंसानियत की सच्चाई को प्रकट कर दिया है।
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तुम्हारी मदद करने की दया और बहादुरी ने इस मंदिर में खुशी और एकता ला दी है।”
महापुरुष ने जारी रखा, “मेरे प्रिय दोस्त, मुझे तुम्हारे लिए एक विशेष तोहफा है। मेरी प्रशंसा के रूप में, मैं तुम्हें उन लोगों की गुप्त इच्छाएं सुनने की क्षमता देता हूँ जो तुम्हारे कपड़े पहनते हैं।
प्यार और सहनशीलता से सिलाई करने के मध्यम से, तुम सिर्फ शरीर को ही नहीं, बल्कि उन लोगों के दिलों को भी छू सकते हो जो तुम्हारे कपड़े पहनते हैं।”
रवि, प्रबल धन्यवाद से उनके सामने झुक गए और उनको शुक्रिया कहा। उन्होने वादा किया कि यह उपहार हमेशा समझदारी से इस्तेमाल करेंगे और अपने गांव की सेवा में और भी ज्यादा समर्पित रहेंगे।
उस दिन के बाद से, रवि के कपड़े और भी अधिक गांव के लोगों के दिलों में लिए जाते थे।
लोग दूर से आते जाते, रवि की शानदार सिलाई कला के अलावा उसमे भरपूर प्यार और सहनशीलता का अनुभव भी करते थे। रवि के कपड़े मन और शरीर दोनों को सजाते थे।
गांव में खुशी, सहनशीलता और समरस्ता का वातावरण बढ़ गया। एक समय तो यह गांव में विभाजन था, लेकिन अब लोग एक दूसरे को अपनाने लगे, समझ गए कि समर्पण और दया से दुनिया बदल सकती है।
हाथी भी गांव के लोगों का प्रिय रह गया, जो एक छोटे दर्जी ने सही समय पर असली सहनशीलता दिखाकर दिखाया था।
और इस तरह, दयालु दर्जी रवि और हाथी की कहानी एक ऐतिहासिक दास्तान बन गई, जो बड़े से छोटे तक गांव में गड़ी जाती है।
यह एक उपदेशक कथा बनी, जो लोगों को याद दिलाती है कि छोटे-से-छोटे नेकी करने की क्षमता कितनी बड़ी होती है।
अंत में, गांव प्यार, सहनशीलता और समंजस्य से उमड़ गया, और रवि सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे, जानते थे कि उनकी सिलाई ने उनके आस-पास के लोगों के जीवन में अंतर ला दी है।
रवि, दयालु दर्जी – Moral story in Hindi
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