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मेरा प्रिय मित्र-short essay in Hindi

विद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र आपस में सहपाठी भाई होते हैं और वे सभी आपस में मित्र भी होते हैं।

मेरे भी कई मित्र हैं।कुछ घर के आस-पास के लड़के और कुछ विद्यालय में साथ पढ़ने वाले हैं।

उन सभी मित्रों में से सुनील मेरा सबसे प्रिय मित्र है। सुनील हमारी घर से थोड़ी दूर हमारी कालोनी में ही रहता है।

वह मेरे साथ कक्षा में हाई पढ़ता है। उसके पिता जी विद्यालय में अध्यापक है। वे दो भाई व एक बहिन हैं।

उसके पिता जी भी मेरे पिता जी के दोस्त हैं। वह प्रायः हमारे घर पर आते रहते हैं। मैं भी उनके घर जाता रहता हूँ।

उसके पिता जी मुझे अपने पुत्र की तरह ही समझते हैं। मेरा मित्र बड़ा सौभ्य स्वभाव का लड़का है।

वह मिलनसार और हंसमुख है। विद्यालय में वह सब लड़कों के साथ मिल कर रहता है। किसी के साथ भी लड़ाई झगड़ा नहीं करता है।

सदैव सत्य बोलता है। वह एक ईमानदार लड़का है। सभी गुरुजनों का वह सम्मान करता है। माता-पिता व गुरुजनों की आज्ञा का हमेशा पालन करता है।

मेरे मित्र की रुचि पढ़ाई में अधिक है। वह अपना अधिकतर समय पढ़ाई में व्यतीत करता है।

विद्यालय में अध्यापक की बातें ध्यान से सुनता है और घर में मन लगाकर पढ़ता है।

इसके अतिरिक्त खेलों में भी उसकी रुचि है। वह क्रिकेट का खेल अधिक पसंद करता है।

विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी वह भाग लेता रहता है। उसको गाने का बड़ा शौक़ है।

हमारे एक दूसरे से सम्बंध बहुत मधुर हैं। हम दोनों के परिवार एक दूसरे के सुख-दुख में भाग लेते हैं।

हर त्योहार पर वह मेरे घर आता है और मैं उसके घर जाता हूँ। रखी के दिन उसकी बहिन मुझे भी रखी बांधती है।

जब उनके घर में कोई शुभ कार्य होता है तो हमारा सारा परिवार बड़े उत्साह से उसमें भाग लेता है।

सच्चा मित्र बड़े भाग्य से मिलता है। सुनील को अपने मित्र के रूप में पाकर मैं बड़ा खुश हूँ।

 

 

 

 

 

 

 

 


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