अकबर की चोरी हुई अंगूठी-moral story in hindi
एक बार की बात है, अकबर अपने महल में बैठा हुआ था| अचानक से अकबर ने देखा की उसकी एक अंगूठी खो गई है| जो अंगूठी खोई थी वो उसको बहुत प्रिय थी क्यूंकि उसे उनके पिता ने उन्हें उपहार में दी थी।
उनको समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करे| इसलिए वह तुरंत बीरबल के पास पहुंच गए और उनसे मदद मांगने लगे| उन्होंने बीरबल को बोला की कैसे भी करके वह उनकी अंगूठी को लेकर आये|
अकबर और बीरबल
बीरबल ने अकबर को कहा कि वह उनकी अंगूठी खोजने में उनकी पूरी मदद करेंगे और जल्द जल्द चोर का भी पता लगाएंगे जिसने अंगूठी को चुराया था|
बुद्धि से भरा हुआ बर्तन-moral story in Hindi
चोर का पता लगाने के लिए उन्होंने एक तरकीब निकली और कुछ दरबारियों को बुला लिया| तब उन्होंने उपस्थि सभी दरबारियों से कहा कि उन्हें ज्ञात है कि उनमें से एक ने ही महाराज की अंगूठी चुराई है|
अकबर ने गुस्से से पूछा कि उनमें से किसने उसकी अंगूठी चुराई है| तब बीरबल ने जवाब देते हुए कहा कि महाराज आपकी अंगूठी उसने चुराई है जिसकी दाढ़ी में तिनका है|
यह सुनते ही दोषी दरबारी ने तुरंत अपनी दाढ़ी में से तिनके को हटाना चाहा| उसके हाथ को दाढ़ी पर जाते देखते ही बीरबल ने उसकी ओर इशारा किया और अकबर से कहा कि महाराज यह दरबारी आपका अपराधी है। इसी ने आपकी प्रिय अंगूठी को चुराया है|
शिक्षा:
दोषी व्यक्ति का विवेक हमेशा उससे दूर हो जाता है|
अकबर और बीरबल