ग़ुस्सैल बच्चा- moral story in Hindi
gussail baccha naitik kahani Hindi me
एक बार की बात है, एक गाँव में रमन नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ग़ुस्सैल था। जो हमेशा छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता था।
जब भी वह गुस्सा होता तो अपने आसपास की चीजों को तोड़ने लग जाता था। उसकी इस आदत से घर के सभी लोग बहुत दुखी थे। एक दिन रमन के पिता जी ने उसे अपने पास बुलाया।
जैसे ही वह उनके पास आया उन्होंने उसको एक डब्बा दिया। वह डब्बा किलों से भरा हुआ था।
डब्बा देते हुए उन्होंने रमन को कहा कि अब तुम्हें जब भी गुस्सा आए तब तुम इसमें से 1 कील लेकर पीछे की दीवार पर घुसा देना।
अब रमन ऐसा ही करता उसको जब भी गुस्सा आता तो वह एक कील को लेकर उस सुंदर दीवार में घुसा देता था।
कुछ समय बाद वह दीवार पूरी कीलो से भर गई। अब रमन थोड़ा गुस्सा भी कम करने लगा था। इस तरह एक दिन ऐसा आया कि रमन ने पूरे दिन गुस्सा नहीं किया।
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उसने यह बात अपने पिताजी को बताई। उसके पिताजी ने उसको दूसरा काम दिया और कहा अब तुम जिस दिन कोई गुस्सा ना करो।उस दिन उस दीवार पर जाकर एक कील को निकाल देना।
अब रमन ऐसा ही करने लगा। इस तरह कुछ ही दिनों में पूरी दीवार कीलो से खाली हो गई। वह इसके बाद दोबारा अपने पिताजी के पास गया।
उसके पिताजी उसको उस दीवार के पास लेकर गए। वहाँ जाकर उन्होंने कहा कि यह दीवार हमारी जिंदगी की तरह है। हम जब भी गुस्सा करते हैं। तब हो सकता है कुछ समय बाद लोग हमें माफ कर दे।
लेकिन उससे जो नुकसान हुआ है। वह हमेशा रहते हैं। इसलिए हमें कभी भी गुस्सा नहीं करना चाहिए।
यह बात अब रमन को अच्छे से समझ आ गई थी और अब वह कभी भी ग़ुस्सा नहीं करता था। जिससे सभी लोग उसे पसंद करने लगे थे।
शिक्षा:
हमें कभी भी, किसी भी परिस्थिति में ग़ुस्सा करने से बचना चाहिए।
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