कौवे का शिकार – moral story in Hindi 

kauwe ka shikar panchtantr ki naitik kahani Hindi me 

एक बार की बात है, एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था, वह पेड़ के आसपास रहते हुए खरगोश को आसानी से पकड़ कर, उनको खा जाता था। बाज खरगोश का शिकार बड़ी आसानी से करता था|

उसी पहाड़ की तराई में एक बरगद का पेड़ था| उस पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था। वह रोज बाज को खरगोश का शिकार करते हुए देखता था।

कौवे की कोशिश हमेशा यही रहती थी कि उसे बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए।

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जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरता और हमेशा एक न एक खरगोश को उठाकर ले जाते, पर कौआ मजबूर होकर ये सब देखता रहता था।

एक दिन कौवे ने सोचा, “वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ नहीं आएंगे, इनका नर्म मांस खाने के लिए मुझे भी इस बाज की तरह ही करना होगा। एकाएक झपट्टा मारकर मैं भी एक न एक खरगोश तो पकड़ लूंगा।”

दूसरे दिन कौवे ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी। फिर उसने भी खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा।

लेकिन एक कौआ, बाज का मुकाबला नहीं कर सकता। खरगोश ने उसे देख लिया और जल्दी से वहां से भागकर चट्टान के पीछे छिप गया।

कौआ अपनी गति को संभाल नहीं पाया और उस चट्टान से जा टकराया। चट्टान से टकराने की वजह से उसकी चोंच और गरदन टूट गईं और वह गंभीर रूप से घायल हो गया।

शिक्षा:

हमें कभी भी किसी की नक़ल करके कोई भी काम नहीं करना चाहिए|

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