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लड़ती बकरियां और सियार – moral story in Hindi

ladti bakriyan aur siyar, panchatantr ki naitik kahani Hindi mein

एक बार की बात है, एक बहुत घना जंगल था।उस जंगल में किसी बात को लेकर दो बकरियों के बीच झगड़ा हो गया। इस झगड़े को वहां से गुजर रहे एक साधु महाराज देख रहे थे।

देखते ही देखते दोनों बकरियों में झगड़ा इतना बड़ गया कि दोनों आपस में लड़ने लगीं। उसी समय वहां से एक सियार भी गुजरा। वह बहुत भूखा था।

जब उसने दोनों बकरियों को झगड़ते देखा, तो उसके मुंह में पानी आ गया।बकरियों की लड़ाई इतनी बड़ गई थी कि दोनों ने एक-दूसरे को लहूलुहान कर दिया था, लेकिन फिर भी लड़ना नहीं छोड़ रही थीं।

दोनों बकरियों के शरीर से खून निकलने लगा था। भूखे सियार ने जब जमीन पर फैले खून की तरफ देखा, तो उसे चाटने लगा और धीरे-धीरे उनके करीब जाने लगा।

यह देखकर उसकी भूख और ज्यादा बढ़ गई थी। उसके मन में आया कि क्यों न इन दोनों बकरियों को मारकर अपनी भूख मिटाई जाए।

वहीं, दूर खड़ा साधु यह सब देख रहा था। जब उसने सियार को दोनों बकरियों के बीच जाते हुए देखा, तो उसने सोचा कि अगर सियार इन दोनों बकरियों के और करीब गया, तो उसे चोट लग सकती है। यहां तक कि उसकी जान भी जा सकती है।

साधु अभी यह सोच ही रहा था कि सियार दोनों बकरियों के बीच पहुंच गया। बकरियों ने जैसे ही उसे अपने पास आते देखा, तो दोनों ने लड़ना छोड़कर उस पर हमला कर दिया।

अचानक हुए हमले से सियार अपने आप को संभाल नहीं सका और उसे चौट लग गई। वह किसी तरह से अपनी जान बचाकर वहां से भागा।

सियार को भागता देख दोनों बकरियों ने भी लड़ना छोड़ दिया और अपने घर लौट गईं। वहीं, साधु भी अपने घर की ओर चल दिया।

शिक्षा:

हमें कभी भी दूसरों की लड़ाई में नहीं कूदना चाहिए, इससे हमारा ही नुकसान होता है।

Fighting Goats And The Jackal Moral story in Hindi

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