अन्न का अपमान| Food Dishonor moral story in Hindi

अन्न का अपमान- Moral Story in Hindi

ann ka apmaan panctantra ki naitik kahani Hindi mein

एक बार की बात है एक गाँव में सुधा नाम की एक लड़की रहती थी। वह देखने में बहुत सुन्दर थी।

लेकिन उसकी एक बहुत बुरी आदत थी की वह बहुत ज़्यादा खाना ख़राब करती थी। वह ज्यादा खाना लेकर फिर उस खाने को फेंक देती थी।

कुछ समय बाद उसकी शादी हो गयी। उसकी सास ने सारी जिम्मेदारी उसको दे दी। यहाँ तक की तिजोरी की चाबी भी।

उन्होंने उसको सब कुछ सौंपते हुए कहा कि अब तक वह घर बहुत अच्छे से चलाती थी अब से उसको घर चलाना है।

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सुधा ने अपनी सास की बात को मान लिया। अब से वही घर चलाती थी।

इसके बाद से वह अपने पति से बार बार कभी चीनी, कभी चावल और कभी दाल मंगवाती रहती थी।जब उसकी सास को इस बारे में पता चला तो वह सुधा को बोली की तुम महीने भर का राशन एक बार में क्यों नहीं मंगवाती।

सुधा ने बताया की वह सारा राशन एक साथ मंगवाती हूँ लेकिन वह कम पड़ जाता है। यह सुनने के बाद सुधा की सास ने यह पता लगाने की कोशिश कि की राशन कहा जाता है।

अब उसने रसोई में थोड़ी नज़र रखनी शुरू कर दी।कुछ दिन रसोई में देखने पर उसको पता चला की सुधा बहुत ज्यादा खाना बनाती थी जिससे बहुत सारा खाना फ्रिज में ही रखा रहता था।

उसने सुधा को खाने की अहमियत के बारे में सिखाने की सोची।

एक दिन उसने सुधा को बुलाकर कहा की हमारे पहले वाली नौकरानी के बच्चे की तबियत ठीक नहीं है मुझे वहाँ जाना है क्या तुम भी चलोगी। सुधा भी अपनी सास के साथ जाने के लिए तैयार हो गयी।

अपनी नौकरानी की बस्ती में जाकर सुधा की सास ने कहा की मैं अभी उसके घर का रास्ता पूछ कर आती हूँ।

इसके बाद सुधा कुछ देर के लिए वही खड़ी रही तब सुधा ने एक घर के अंदर देखा तो एक छोटा बच्चा भूख के कारण बहुत रो रहा था।

उसकी माँ ने अपने अनाज के सभी बर्तन देखे लेकिन वो सभी के सभी खाली थे। यह देखकर सुधा को रोना आ गया।

कुछ देर बाद उसकी सास आयी और उसको उनकी नौकरानी के घर लेकर गयी। नौकरानी के घर जाने पर उसका लड़का बीमार लेटा हुआ था।

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जब सुधा की सास ने बीमारी का कारण पूछा तो नौकरानी ने कहा की वह एक घर से बचा हुआ भोजन लेकर आयी थी। लेकिन उसको नहीं पता था की वह खाना बहुत पुराना था और ख़राब हो चूका था।

उसने वह खाना अपने बेटे को खिला दिया जिससे उसके बेटे की तबियत बहुत ज्यादा ख़राब हो गई थी।

यह कहकर वह रोने लगी। कुछ देर के बाद सुधा और उसकी सास अपने घर आ गए। घर आने पर सुधा अपनी सास के गले लग कर बहुत रोने लगी।

जब उसकी सास ने उसके रोने का कारण पूछा तो सुधा ने बताया की मैं खाने को कितना बर्बाद करती हूँ और किसी को खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं है।

उसने इतना भी कहा की अब से वह खाने को कभी बर्बाद नहीं करेगी। सुधा को खाने की कीमत महसूस होने पर उसकी सास बहुत खुश हुई।

शिक्षा:

हमें कभी भी अन्न को बर्बाद नहीं करना चाहिए।

अन्न का अपमान| Food Dishonor panchtantra moral story in Hindi

Author

  • Krishna Jain

    "Stories possess a unique power to inspire and move us" Through my writing, I aim to share my deepest thoughts, emotions, and insights. I invite readers to join me on a journey into the transformative world of words. Writing Experience: Over 10 years of writing experience. Editing Experience: Served as an editor at various publishing houses, gaining extensive editing experience.

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