अच्छी व बुरी संगती- moral story in Hindi

एक बार की बात है, एक गाँव में एक हकीम रहता था जिसका नाम लुकमान था| वह अपने जीवन काल के अंतिम चरण पर थे|

वे एक ख्याति प्राप्त विद्वान और सदाचारी व्यक्ति थे| जब वे मरण शय्या पर अपनी अंतिम साँसे ले रहे थे तब उन्होंने इशारे से अपने बेटे को पास बुलाकर कहा, “बेटा, मैंने तुझे यूँ तो समय पर अनेक शिक्षाएं दी हैं लेकिन जाते हुए एक अंतिम शिक्षा देना चाहता हूँ|”

इतना कहकर लुकमान ने इशारे से अपने बेटे को पूजा कक्ष में से धूपदानी लाने को बोला| जब वह धूपदानी लेकर आता है तब लुकमान, उसमें से चुटकी भर चन्दन लेकर उसके हाथ में देते हुए इशारा करते हुए सामने चूल्हे में से कोयला लाने को बोला|

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जब वह कोयला लेकर आया तब उसने उसे दूसरी हथेली पर रखने को कहा| फिर लुकमान ने अपने बेटे को बोला कि अब इन दोनों को अपने-अपने स्थान पर पुनः रखकर आओ|

उसके बेटे ने उसके कहा अनुसार ही किया| उसके बाद उसने देखा कि जिस हथेली में चन्दन था, वह अभी भी चन्दन की सुवास से महक रही थी|

और जिस हथेली पर कोयला था, वह हथेली कोयला छोड़ देने पर भी काली दिखाई दे रही थी|

लुकमान हकीम ने अब अपने बेटे को इस बात का तथ्य स्पष्ट करते हुए समझाया कि बेटा जीवन में एक बात हमेशा याद रखना, अच्छे आदमियों का संग चन्दन के जैसा होता है| 

जब तक संग में रहेगा तब तक तो खुशबू मिलेगी ही और संग छूटने के बाद भी अच्छे विचारों की सुगंध से जिंदगी हमेशा के लिए तरोताजा हो जाएगी|

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दुर्जनों का संग कोयले जैसा होता है| जब तक हाथ में कोयला है तब तक हाथ काला रहता है और छोड़ देने पर भी उसकी कालिमा का कलंक सदा बना रहता है|

यह सुनकर उसके बेटे ने कहा कि वे उनकी इस सीख को हमेशा याद रखेगा और अपने जीवन में हमेशा अच्छे विचारों वाले व्यक्तियों के साथ ही रहेगा| 

शिक्षा:

हमें जीवन में चन्दन जैसे आदमियों के संग रहना चाहिए और कोयले जैसे कुसंग से दूर रहना चाहिए|

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