Handful of Grain and Coins moral story in Hindi

मुट्ठी भर अनाज और सिक्के- moral story in Hindi

एक बार की बात है, विजयनगर साम्राज्य में विद्युलथ नाम की एक अभिमानी महिला थी। वह अपनी उपलब्धियों पर बहुत गर्व करती थी और जगह-जगह अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन भी करती रहती थी।

एक दिन उसने अपने घर के बाहर एक बोर्ड लगा दिया, उसपर उसने लिखा था कि अगर कोई भी अपनी चतुरता से उसकी बुद्धि को मात दे देगा तो वह उस व्यक्ति को 1000 सोने के सिक्कों की पेशकश देगी।

कई विद्वानों ने उसे चुनौती दी, लेकिन कोई भी उसे हरा नहीं सका। एक दिन एक लकड़ी बेचने वाला आया| वह उसके दरवाजे के बाहर लकड़ी लेने के लिए चिल्लाने लगा।Handful of Grain and Coins moral story in Hindi

उसके चिल्लाने से चिढ़कर विद्युलथ ने उस आदमी को अपनी सारी लकड़ी बेचने के लिए कहा। व्यापारी ने कहा कि वह सारी लकड़ियों को ‘मुट्ठी भर अनाज’ के बदले में बेच देगा। ‘

हालांकि, आदमी ने ओर जोर देकर कहा कि विद्युलथ को समझ में नहीं आया कि उसने वास्तव में क्या मांगा था।

फिर व्यापारी ने आगे कहा कि अगर वह उसे ‘मुट्ठी भर अनाज’ की सही कीमत नहीं चुकाएगी, तो उसे अपनी चुनौती का बोर्ड उतारना होगा और उसे चुनौती के मुताबिक 1000 सोने के सिक्के देने होंगे।

क्रोधित होकर, विद्युलथ ने उस पर बकवास बात करने का आरोप भी लगा दिया था। तब विक्रेता ने कहा कि यह बकवास नहीं है,और अगर उसने उसकी बताई हुई कीमत नहीं समझी, इसलिए उसे हार मान लेनी चाहिए।

इन शब्दों को सुनकर, विद्युलथ विक्रेता से निराश होने लगी। घंटों बहस करने के बाद, उन दोनों ने प्रांतीय अदालत में जाने का फैसला किया।

न्यायाधीश ने सामने दोनों ने एक-एक करके अपनी बात का स्पष्टीकरण किया। विक्रेता ने अपनी बात समझाते हुए न्यायाधीश से कहा कि वह एक मुट्ठी भर अनाज ’चाहता है जिसका अर्थ है कि एक विलक्षण अनाज जिससे एक हाथ भर जाए।

दोनों पक्षों की सारी बातें सुनकर न्यायाधीश ने कहा, चूँकि वह इस बात को समझने में असफल रही, इसलिए विद्युलथ को अपनी हार मान लेनी चाहिए और साथ ही साथ उसे अपने बोर्ड को उतार भी देना चाहिए|

उन्होने यह भी आदेश दिया कि चुनौती के मुताबिक विद्युलथ को विक्रेता को 1000 सोने के सिक्के भी देने होंगे।

न्यायाधीश के फैसले से सब प्रभावित होकर सहमत हो गए और पूरा मामला सुलझ गया।

विद्युलथ ने आदेश के मुताबिक अपना बोर्ड उतार दिया  लेकिन उतारने के बाद जिज्ञासु विद्युलथ, ने विक्रेता से पूछा कि वह वास्तव में कौन था|

क्यूंकि जब बड़े बड़े विद्वान् उसे नहीं हरा सके तो एक साधारण से लकड़ी विक्रेता उसे कैसे हरा सकता था। तब उस विक्रेता ने अपनी भेष बदल दी और वह कोई ओर नहीं बल्कि खुद तेनाली रामा थे|

क्यूंकि रामा उस अभिमानी और विद्याभूषण महिला को विनम्र होने का पाठ पढ़ाना चाहते थे|  

शिक्षा:

हमें हमेशा अपने पास मौजूद प्रतिभाओं और उपहारों के बारे में विनम्र रहना चाहिए।

tenali rama moral story in Hindi

Author

  • Krishna Jain

    "Stories possess a unique power to inspire and move us" Through my writing, I aim to share my deepest thoughts, emotions, and insights. I invite readers to join me on a journey into the transformative world of words. Writing Experience: Over 10 years of writing experience. Editing Experience: Served as an editor at various publishing houses, gaining extensive editing experience.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most read
बंदर और मगरमच्छ की कहानी- short moral story in hindi bandar aur magarmach ki kahani एक बार ...
27/11/2020
0
खरगोश और कछुआ की कहानी इस कहानी में, हम सीखते हैं कि घमंड हमेशा हमें नीचा दिखाता ...
27/03/2024
0
51 best short moral stories in Hindi for kids with moral ५१ नैतिक कहानियाँ बच्चों के लिए: ...
15/03/2024
1
मुट्ठी भर अनाज और सिक्के- moral story in Hindi एक बार की बात है, विजयनगर साम्राज्य में ...
12/05/2021
0