समझदार कुआँ – Moral Story for kids in Hindi
एक समय की बात है, एक दूर के गाँव में एक राज नामक किसान रहता था।
राज ने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए कई साल से काम किया था, जमीन को खेती किया और पशु पाले।
लेकिन उसकी सबसे बड़ी मुश्किल पानी था।
उसके पास पानी का सबसे पास विकल्प वो कुएं था जो कि उसके चालाक पड़ोसी रवि के पास था।
रवि अपने चालाक तरीकों के लिए पूरे गाँव में प्रसिद्ध थे।
उन्होंने राज को कुआं किने थे, पर एक धोखाधड़ी शर्त के साथ – वो राज से कुएं से पानी नहीं निकालने देंगे।
राज बहुत गुस्सा हुआ, क्योंकि उसने कुएं के लिए बड़ा मूल्य चुकाया, और पानी के बिना उसके फसल सूख जाते और पशु बीमार होते।
बेहद बेचैन और समय के बिताने के बाद, राज ने न्याय की मांग करने का फैसला किया।
उसने सम्राट के महल का सफर किया, जो एक समझदार और न्यायप्रिय आदमी के रूप में मशहूर थे।
एक लंबी प्रतीक्षा के बाद, राज को सम्राट के साथ मुलाकात मिली और उसने अपनी बात कही।
“महाराज,” राज ने शुरू किया, “मैंने अपने पड़ोसी रवि से एक कुआं खरीदा था, पर वह मुझे उसमें से कुछ भी पानी नहीं निकलने देते हैं।
मैं आपसे अपील करता हूँ कि आप विवाद में हस्तक्षेप करें।
यह मेरा एकमात्र पानी का स्रोत है, और मैंने इसके लिए भारी मूल्य चुकाया है।”
सम्राट, सोचने वाले और ध्यान से सुनने वाले व्यक्ति के रूप में, रवि को बुलवाया और उसकी बातें सुनी।
रवि ने यह कहकर विरोध किया, “महाराज, मैंने कुआं को राज को बेचा, इसमें कोई छुट्टी नहीं थी।
पहले से ही उससे पानी निकलने की बात नहीं हुई थी।
उसने पूछना चाहिए था खरीदने से पहले।”
महाराज, एक मुस्कान के साथ, राज से पूछे, “क्या आपने खरीदने से पहले कुआं की अवस्था नहीं देखी थी?”
राज अपने सिर पर खुजली करते हुए, समझ गए कि वह बहुत जल्दी में थे।
“नहीं, महाराज। मैंने सोचा कि कुआं के साथ ही पानी आएगा। मुझे इसे सुरक्षित करने की बड़ी जरूरत थी।”
फिर, सम्राट ने दोनों आदमियों से कहा, “राज, आपने एक महंगा सबक सिखा।
रवि, आपकी धोखाधड़ी की चाल का पर्दाफाश हो गया है। आप दोनों ने आज कुछ सिखाया है। राज, आपको कभी भी बिना शर्तों की स्पष्टीकरण के सौदों में न उतरना चाहिए।
रवि, आपकी चालाकी शब्दों का उपयोग करने में हो सकता है, लेकिन यह स्थायी सफलता नहीं दिला सकता।”
फिर, सम्राट ने घोषणा की, “रवि, तुम कुएं को रख सकते हो, लेकिन तुम्हें राज को कुएं से पानी निकालने देना होगा।
बदले में, राज, तुम्हें उस पानी के लिए एक सार्वजनिक किराया देना होगा।”
राज और रवि बिना समाधान के गाँव लौटे।
राज को पानी की पहुँच मिल गई, लेकिन उसे इसके लिए किराया देना होता था।
रवि को यह समझ में आया कि दूसरों को धोखा देना हमेशा तक आखिरकार कठिनाइयों का कारण नहीं बनता है।
उन दोनों ने उस दिन महत्वपूर्ण सिख ली थी।
और इसी तरह, जो कुएं पहले उन्हें अलग कर देता था, वो समझदारता का प्रतीक बन गया।
गाँव ने इस कहानी को याद किया, और याद दिलाया कि जल्दी और धोखाधड़ी से नहीं, बराबरी और बातचीत हमेशा आखिरकार जीतती है।
समझदार कुआँ – Moral Story for kids in Hindi