खुशी का पत्थर – Moral Story in Hindi
एक बार की बात है, भारतीय गांव में एक अमीर आदमी राघव रहता था। राघव के पास धन की अधिकता थी, लेकिन उसे हमेशा दुःख सताता रहता था। जितनी भी चीजें उसने प्राप्त कीं या जितना भी बड़ा संपत्ति उसके पास होती, असली ख़ुशी उसे प्राप्त नहीं हो पाती थी।
एक दिन, गांव में फैला हुआ था कि गौतम बुद्ध, प्रज्ञा प्राप्त संत, वहां से गुजर रहे हैं और अपने उपदेश और मार्गदर्शन देंगे। जीवन के हर मार्ग से लोग उनके शब्द सुनने के लिए भीड़ते थे।
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ख़ुशी के राज़ को ढूंढ़ने की ताकत से प्रेरित, राघव ने फ़ैसला लिया कि वह गौतम बुद्ध के पास जाएगा और उनके गहन ज्ञान से सीखेगा। लंबी यात्रा के बाद, राघव अंत में वहां पहुंचा, जहां गौतम बुद्ध अपने उपदेश सुना रहे थे।
राघव ध्यान से सुन रहा था जब गौतम बुद्ध इच्छुक लोगों के प्रति भाषण देते थे। उन्होंने बताया कि ख़ुशी छीन धन में नहीं होती, बल्कि अपने अंदर संतोष ढूंढ़ने और दयालु और ध्यानभक्त जीवन जीने में होती है।
गौतम बुद्ध के उपदेश से प्रकाशित, राघव उपदेश माँगने के लिए उनके पास पहुंचा। “हे बुद्धिमान बुद्ध,” राघव ने अनुरोध किया, “मैं एक धनी आदमी हूं, फिर भी दुःख से भरा हुआ हूं। मैं असली ख़ुशी कैसे पा सकता हूँ?”
गौतम बुद्ध ने गहरी नज़रों से राघव की ओर देखा और उसके मन की गहरी इच्छा का आभास किया। एक करुणा भरी मुस्कान के साथ, उन्होंने राघव को एक छोटा सा पत्थर दिया और कहा, “यह पत्थर ख़ुशी का राज़ समेटा हुआ है। अपने दिल के पास रखो और हमेशा साथ ले जाओ। इसकी शक्ति आपके विश्वास और समझ में है।”
राघव उलझे हुए पर तैयार था, लेकिन विश्वास और समझ के साथ उसने पत्थर को स्वीकार किया और अपने गांव वापस चला गया। वह गौतम बुद्ध के शब्दों को विश्वास से सुनता रहा, पत्थर को दिल के पास रखता और उसके महत्व पर विचार करता रहा।
दिन महीनों में बदलते गए, जब राघव धीरे-धीरे अपने वस्तुओं से लगाव को छोड़ता गया। वह अपने जीवन के साधारण सुखों में संतोष ढूंढ़ने लगा – एक हल्की हवा, बच्चों की हँसी, और किसी अच्छे शब्द की गरिमाहट।
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राघव के बदलाव की खबर गांव में फैल गई और लोग उसकी नई ख़ुशियों का आश्चर्यचकित हो गए। उनके बदलने की तैयारी और लगाव को छोड़ने ने ही उसे ख़ुशी तक पहुंचाया।
कहानी का सिख: असली ख़ुशी वस्तुओं में नहीं, अपने अंदर में होती है। लगाव को छोड़कर और दया को अपनाते हुए सच्ची संतोष की खोज करने से हम ख़ुश रह सकते हैं।
खुशी का पत्थर – Moral Story in Hindi