लोमड़ी और मुर्गा-Fox and Rooster moral story in Hindi.
lomdi aur murge ki Panchatantra ki naitik Kahani Hindi me
एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक मुर्गा🐓 रहता था। मुर्गा बहुत ही समझदार और चलाक था।
उसी गांव में एक दिन एक लोमड़ी🦊 आई। लोमड़ी ने देखा की एक मुर्गा पेड़ की टहनी पर बैठा हुआ था।
मुर्गे🐓 को देखकर लोमड़ी🦊 ने सोचा कि वह इस मुर्गे को खा जाए लेकिन उसके लिए उसे मुर्गे को नीचे बुलाना था।
अब लोमड़ी सोचने लगी कि वह मुर्गे को कैसे बेवकूफ बनाकर नीचे बुलाये।
यह सोचकर उसने मुर्गे🐓 से कहा, “तुम वहां ऊपर क्या कर रहे हो नीचे आओ नीचे आकर हम दोनों बैठ कर एक साथ बात कर सकते हैं।” ऐसा कह कर लोमड़ी मुर्गे को बेवकूफ बनाना चाहती थी।
मुर्गे ने कहा, “नहीं मैं नीचे नहीं आ सकता क्योंकि मैं खूंखार जानवरों से दूर ही रहता हूँ। इसलिए मैं वहां तुम्हारे पास नीचे नहीं आ सकता। मुझे इस बात का डर है कि तुम मुझे मारकर खा न जाओ।”
saanp aur chitiyan – panchatantra ki naitik kahani Hindi me
मुर्गे की बाते सुनकर लोमड़ी ने कहा, “अरे! तुम्हें नहीं पता, आज जंगल में सभी जानवरों ने फैसला किया है कि वह एक दूसरे जानवरों के साथ मिलकर रहेंगे और एक दूसरे का शिकार कभी भी नहीं करेंगे। इसलिए अब तुम्हें किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है। मुझसे भी डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। नीचे आजाओ अब हम आराम से बैठ कर बात कर सकते हैं।”
मुर्गा लोमड़ी की बातों को बड़े ध्यान से सुन रहा था और वह जानता था कि लोमड़ी उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है।
मुर्गा भी बहुत चतुर था उसने सोच समझकर लोमड़ी से कहा, “अरे वाह यह तो अच्छी बात है! अगर ऐसा ही है तो अब से हम सब मिलकर एक साथ रह सकते हैं।” ऐसा कहने के बाद मुर्गा अपनी गर्दन को ऊपर करके दूर की तरफ देखने लगा।
मुर्गे को ऐसा करता देख लोमड़ी सोचने लगी कि आख़िरकार ये क्या कर रहा है? बड़े हैरानी से लोमड़ी ने मुर्गे से पूछा कि “तुम क्या देख रहे हो? क्या है वहाँ?अब तो नीचे आ जाओ हम बैठ कर बात करेंगे|”
“कुछ नहीं बस मुझे कुछ जंगली कुत्तों का झुंड इसी ओर आता दिखाई दिया। इसी वजह से मैं अपनी गर्दन ऊपर करके उन्हें देख रहा था। ” मुर्गे ने लोमड़ी से कहा।
यह सुनकर लोमड़ी घबरा गई और वह वहां से निकलने की कोशिश करने लगी। जैसे ही वह वहां से जाने लगी तो मुर्गे ने पूछा, “तुम यहां से क्यों जा रही हो? रुको हम बैठकर बात करने वाले थे और अब तो जंगली कुत्ते भी आ जाएंगे तो हम उनके साथ बैठ कर भी बात कर सकेंगे।”
“नहीं! नहीं! मैं यहाँ नहीं रुक सकती अगर मैं यहां रुकी और कुत्ते आ गए तो वह मुझे खा जाएंगे इसीलिए मुझे यहां से जाना पड़ेगा।” लोमड़ी ने घबराते हुए मुर्गे से कहा।
“अच्छा लेकिन सुबह तो फैसला हुआ था कि जंगल के सारे लोग एक दूसरे के साथ मिलकर रहेंगे और किसी को नहीं मारेंगे तो फिर तुम क्यों डर रही हो?” मुर्गे ने लोमड़ी से पूछा।
लोमड़ी ने हकलाते हुए मुर्गे से कहा, “दरअसल बात यह है कि यह खबर अभी तक जंगली कुत्तों तक नहीं पहुंची है। इसीलिए वह मुझ पर हमला कर सकते| मुझे यहां से भाग कर जाना ही पड़ेगा। “
यह कहकर लोमड़ी तुरंत ही वहां से भाग गई और इस तरह से मुर्गे ने अपनी चतुराई से अपनी जान बचाई और अपनी रक्षा की।
शिक्षा:
हमें दूसरों की बात को कभी भी तुरंत नहीं मानना चाहिए हमें उस पर विचार जरूर करना चाहिए कि वह हमारे लिए सही है या नहीं।
lomdi aur murge ki Panchatantra ki naitik Kahani Hindi me
Panchatantra moral story in Hindi