मेरा प्रिय खेल- क्रिकेट- short essay in Hindi
मेरी खेलों में विशेष रुचि है। मैं कई प्रकार के खेल खेलता हूँ ।
परंतु क्रिकेट के खेल में मेरी सबसे अधिक रुचि है क्यूँकि क्रिकेट मेरा प्रिय खेल है।
हमारे देश में अब यह एक लोक-प्रिय खेल बन गया है।
जब कभी दो देश क्रिकेट का मैच खेलते हैं, तो लोग उसकी कोमेंट्री सुनने के लिए अपना काम- काज छोड़ देते हैं।
मैं भी कोमेंट्री में बहुत अधिक रुचि लेता हूँ। क्रिकेट खेल का प्रमुख साधन मैदान है।
इसके लिए एक समतल विशाल मैदान चाहिए। इसमें पिच बनाया जाता है।
पिच स्टम्पों के बीच की जगह होती है। लकड़ी के तीन डण्डे गाढ़ दिए जाते हैं, वे स्टाम्प कहलाते हैं।
क्रिकेट में बल्ला एक महत्वपूर्ण साधन है तथा गेंद दूसरा महत्वपूर्ण साधन है।
यह मुख्यतः बल्ले व गेंद का ही खेल है।
बल्ले की लम्बाई 38 इंच होनी चाहिए। गेंद अत्यंत कठोर होनी चाहिए।
गेंद की चोट से बचने के लिए हाथों पर दस्ताने व पैरों पर आगे की ओर पैड बांधे जाते है।
इसमें खिलाड़ियों के दो दल होते हैं। प्रत्येक दल में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी होते हैं।
प्रत्येक दल में एक कप्तान होता है। जिसके नेतृत्व में टीम खेलती हैं।
खेल खिलने के लिए दो निर्णायक होते हैं जिन्हें अंपायर कहते है।
खेल का आरम्भ सिक्का उछाल कर ‘टास’ द्वारा होता है। जो टीम टास जीतती है।
उसको खेलने का पहला अवसर मिलता है।
एक दल का खिलाड़ी बल्ला लेकर स्टाम्प पर तैयार रहता है, दूसरे दल का खिलाड़ी गेंद फेंकता है।
छः गेंद फेंकने पर एक ओवर होता है।
गेंद फेंकने के बाद बल्ले वाला खिलाड़ी गेंद को बल्ले से ठोकर मार कर दूर फेंकता है और रन लेने के लिए दूसरी तरफ़ दौड़ता है और रन ले लेता है।
यदि गेंद लुढ़कते हुए सीमा पार करती है तो चार रन और यदि बिना ज़मीन छुए सीमा से बाहर चली जाए तो छः रन बन जाते हैं।
अधिक रन बनाने वाली टीम की विजय होती है।
क्रिकेट खेलने से एक ओर हमारा व्यायाम होता है तो दूसरी तरफ़ मनोरंजन भी होता है।
इसमें विशेषता यह है कि जब से मैच शुरू हो जाता है, खिलाड़ी व दर्शक सतर्क रहते है; इससे खिलाड़ी में अनुशासन, आज्ञा पालन, कर्तव्य पालन व सहयोग की भावना बढ़ती है।