पुलिस (आरक्षी)- short essay in Hindi
समाज में अच्छे-बुरे हर प्रकार के लोग रहते हैं।कई लोग दूसरों के घरों में चोरी करते है।डाका डालते हैं और गुंडागर्दी करते है।
समाज को चोर, डाकू और गुंडों से बचाने के लिए क़ानून बने हैं। उन क़ानूनों का पालन पुलिस करती है।
पुलिस हमारी सच्ची मित्र है। पुलिस के सिपाही या आरक्षी समाज में गश्त लागतें रहते हैं।
पुलिस के सिपाही की वर्दी ख़ाकी रंग की होती है।ख़ाकी कैप, ख़ाकी जुराबें व जूते काले होते है।
ये सारी चीजें उन्हें सरकार द्वारा मिलती हैं।पुलिस के सिपाही के हाथ में एक बैंत का डंडा होता है।
कमर में चौड़ी चमड़े की पेटी बंधी रहती है।जेब में सीटी रहती है जिसको बजाकर वह सबको सतर्क कर देता है।
एक पुलिस के जवान का शरीर हट्टा- कट्टा व मज़बूत होता है और क़द लम्बा होता है।
समाज में पुलिस की बहुत बाड़ी ज़िम्मेदारी होती है। समाज में शांति व्यवस्था बनाने का कार्य पुलिस ही करती है।
समाज में चोरी, डाके को रोकती है।जो लोग ऐसा कार्य करते है उन्हें कड़ी सजा दिलवाने में सहायता करती है। ताकि भविष्य में दूसरे व्यक्ति ऐसा काम न करें।
जब समाज में लड़ाई- झगड़े होते हैं। तो पुलिस उन्हें रोकती है तथा दोषी लोगों को सजा देती है। जो लोग समाज में गुंडा-गर्दी करते हैं । उनको वह पकड़ ले जाती है और उचित दंड देती है।
बड़े शहरों में आने-जाने के साधन इतने अधिक हो गये है कि सड़कों पर हर समय भीड़ रहती है।
बस, कार, ट्रक, टैक्सी, स्कूटर, रिक्शा, तांगा, आदि वाहन जब सड़कों पर दौड़ते है। तो उन पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता है।
इसलिए हर चौराहे पर पुलिस के जवान इस व्यवस्था को बनाए रखते हैं और दुर्घटनाओं से बचाते हैं।
यदि पुलिस नहीं होती तो समाज में अराजकता फैल जाती और गुंडा-गर्दी, चोरी, डाके बढ़ जाते।
इन सबको रोकने के लिए पुलिस को जनता के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है।इसलिए पुलिस को सहयोग देना हम सब का कर्तव्य है।