डाकिया (पत्र-वाहक) short essay in Hindi
बाहर से आने वाले पत्रों को डाक कहते हैं। पत्रों को एक स्थान से दूसरे स्थान ओर भेजने व घर-घर पहुँचाने की व्यवस्था डाकखाने से होती है।
दूर से आने वाले पत्र डाकखाने में आते हैं।डाकखाने से हमारे घर पर जो व्यक्ति डाक या पत्रों को पहुँचाता हैं, उसको डाकिया या पत्र-वाहक कहते हैं।डाकिया समाज का उत्तम कार्य करता है।
डाकिये को डाकखाने से सरकारी वर्दी मिलती है।यह ख़ाकी रंग की होती है।उसके सिर पर टोपी होती है। पैरों में सरकारी जूते होते है।
उसके पास एक थैला होता है, जिसमें वह पत्र, पार्सल, रजिस्ट्री आदि रखता हैं।शहरों में डाकिया साइकिल से डाक बांटता है और गाँवों में पैदल ही जाता है।
डाकिया समाज का बहुत महत्वपूर्ण कार्य करता है।वह हमारे दूर-दूर से आने वाले पत्रों को हम तक पहुँचाता है।
इसके अतिरिक्त पार्सल व मनीआर्डर भी डाकिया ही बाँटता है।मनीआर्डर के द्वारा हम रुपये अपने सम्बन्धियों के पास भेजते हैं।
डाकिया समाज का सच्चा सेवक है।उसके साथ समाज के प्रत्येक परिवार का सम्बंध बना रहता है।
लोग अपने प्रिय-जनों के संदेश पाने के लिए डाकिये की बड़ी लालसा से प्रतीक्षा करते हैं।
शुभ संदेश लाने पर डाकिये को इनाम भी देते हैं। इसलिए हमें हमेशा डाकिये से हर तरह से सहयोग करना चाहिए।
वह हमारा सच्चा मित्र है।