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बारहसिंगा की भूल – moral story in Hindi

baarahsinga ki bhul Panchatantra ki naitik kahani Hindi mein

एक बार की बात है, दूर किसी जंगल में एक बारहसिंगा रहता था। उसके सींग बहुत खूबसूरत थे जिन्ह पर उसे बहुत घमंड था।

जब भी वह पानी पीते हुए नदी में अपनी परछाई देखता तो वह हमेशा सोचता कि उसके सींग कितने सुंदर हैं, परंतु उसकी टांगें कितनी पतली और भद्दी हैं।

एक दिन उस जंगल में कुछ शिकारी आए। उन्होंने जब सुंदर सींगों वाले बारहसिंघा को देखा तो वे उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़े।

बारहसिंगा बहुत तेजी से दौड़ता हुआ शिकारियों से काफी दूर निकल गया।

तभी अचानक से उसके सींग एक पेड़ की शाखा में अटक गए। उसने अपने सींग छुड़ाने की बहुत कोशिश की, परंतु उसके सींग थे कि निकल ही नहीं रहे थे।

अब तो शिकारी भी लगातार उसके पास आते जा रहे थे।

उसने बड़ी मुश्किल से अपने सींग शाखा से निकाले और वहाँ से जल्दी से अपनी जान बचाकर भागा।

सुरक्षित स्थान पर पहुँचकर वह सोचने लगा कि वह भी कितना बड़ा मूर्ख है।

वह जिन सींगों की सुंदरता पर इतना घमंड करता था, आज उनकी वजह से वह भारी संकट में फँस गया था।

और जिन टांगों को वह बदसूरत मानकर कोसा करता था उन्हीं टांगों की वजह से आज उसकी जान बच पाई।
शिक्षा:

हमे हमेशा किसी की सूरत नहीं बल्कि सीरत देखनी चाहिए।

बारहसिंगा की भूल | Reindeer mistake Panchatantra moral story in Hindi

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