बड़े भाई और छोटे भाई तथा जादुई पेड़ – Short moral story in Hindi

बड़े भाई और छोटे भाई तथा जादुई पेड़ – Short moral story in Hindi

कहानी एक गांव की है, वहां पर एक छोटे से गांव में दो भाई रहते थे,

एक बड़ा और एक छोटा. बड़े भाई का नाम रवि था और उसे गांववालों ने हमेशा मीन बना दिया था. वह कभी भी अपनी खुशियाँ नहीं बाँटता था, किसी की मदद नहीं करता था,

और कभी भी हँसता नहीं था. जबकि छोटे भाई अर्जुन बहुत ही प्यारा और दिल के साफ थे, हमेशा दूसरों की मदद करने को तैयार रहते थे.

एक दिन अर्जुन जंगल में लकड़ी ढूँढ़ने गए, वहां पर उन्होंने कुछ अद्भुत दृश्य देखा. वह पेड़ों का एक ऐसा पेड़ देखा जो उन्होंने कभी नहीं देखा था.

इसकी डाक बहुत मोटी और मजबूत थी, और इसके पत्तियां सूरज की किरनों की तरह चमक रही थीं.

लेकिन सबसे मजेदार बात यह थी कि इसकी डालों पर सोने के सेब झूल रहे थे, जैसे की मूल्यवान गहने.

अर्जुन बड़े ही चौंक गए और इस पेड़ के पास गए और धीरे-धीरे एक सोना सा सेब तोड़ा. तब उन्होंने जब वो सोने से भरपूर सेब तोड़ा, तो पेड़ बोला, “मैं एक जादुई पेड़ हूँ, और मैं तुम्हें अपने सोने के सेब दे रहा हूँ,

लेकिन तुम्हें मुझे एक बात का वादा करना होगा: मुझे कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाओ. मेरी डालें काटने की कोशिश नहीं करना.”

अर्जुन, जो कि बड़े ही सीधा सा बच्चा था, ने तुरंत राजी हो गए.

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उन्होंने पेड़ को धन्यवाद दिया और वह सबसे मीठा, सबसे रसदार सेब का आनंद लिया. फिर वह गांव लौट आए और उस महसूस की जो किसी ने कभी नहीं किया था.

वह अपने पड़ोसीओं के साथ खुशियों की बौछार कर दिया और गांव में खुशी फैला दी.

इस जादुई पेड़ की खबर रवि के कानों में पहुंच गई, और उसका दिल ईर्ष्या से भर गया. उसे यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि उसके छोटे भाई को इतना धन और ध्यान मिल रहा है.

उसने तय किया कि वह अर्जुन को पीछे छोड़ देगा, और खुद जादुई पेड़ को ढूँढ़कर उसके सोने के सेबों को अपने पास रखेगा.

रवि ने पेड़ के पास जाकर भी सोने से भरपूर सेबों की पौंछ ली.

लेकिन उसकी मीनता उसकी बुराई को अधिक बढ़ा दी. वह सोचने लगा, “अर्जुन को सारा धन क्यों मिले?

मैं इस पेड़ को कट कर सब सोने से भरपूर सेब अपने पास रख लूँगा.”

पेड़ जादुई पेड़ ने चेताया, लेकिन रवि अपनी मीनता पर काबू पाने में नाकाम रहे.

वह अपना कुल्हाड़ी लेकर पेड़ की डालों को काटने लगे. तुरंत, पेड़ ने उस पर कांटे बरसाए, जो उसकी त्वचा में छिपे थे,

और रवि अच्छानक दर्द से चिल्लाया. पेड़ ने उस पर कांटे बरसाना बंद नहीं किया, जब तक वह जमीन पर गिर कर दर्द से कराहने लगा.

अर्जुन, जो कि अपने भाई के पीछे आये थे, तुरंत रवि के पास पहुंचे.

उन्होंने देखा कि उनके भाई बहुत दर्द में हैं. उन्होंने पेड़ से मिलकर रवि की रक्षा के लिए प्रार्थना की.

पेड़ ने रवि को छोड़ दिया और उसके त्वचा के अंदर फंसे कांटों को हटाने दिया. तब अर्जुन अपने भाई को गांव वापस ले जाने के लिए उसके पास ले गए.

उस दिन रवि ने एक महत्वपूर्ण सबक सीखा, जब गांववाले उसके दर्द का ख्याल रख रहे थे.

उसे समझ में आ गया कि उसकी मीनता ने उसे बिना किसी कारण के दर्द झेलने पर मजबूर किया, और उसने अपने किए गए कामों के लिए गहरा पछतावा किया.

कहानी का सिख यह है: दयालुता और विनम्रता दुनिया की सारी धन-संपदा से बढ़कर हैं.

अर्जुन का दिल कभी भी खुशियाँ और उसके पासवर्द गांववालों की प्रशंसा लाया, जबकि रवि की मीनता ने उसे दर्द और अकेलापन में डाल दिया.

आखिरकार, उनके किए गए कामों ने उनके भाग्य को तय किया.

इस रूपरूप, उस दूर भारतीय गांव में इन दो भाइयों और जादुई पेड़ की कहानी एक अटल बच्चों को दयालु रहने के शक्तिमान मार्ग की एक अनगिनत कहानियों में से एक बन गई.

बड़े भाई और छोटे भाई तथा जादुई पेड़ – Short moral story in Hindi

Author

  • Krishna Jain

    "Stories possess a unique power to inspire and move us" Through my writing, I aim to share my deepest thoughts, emotions, and insights. I invite readers to join me on a journey into the transformative world of words. Writing Experience: Over 10 years of writing experience. Editing Experience: Served as an editor at various publishing houses, gaining extensive editing experience.

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