दर्पण की छाया – Short moral story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक छोटे से लड़के का जन्म हुआ।
वो बहुत ही गरीब था, लेकिन उसमें आशा और मुस्कान हमेशा बनी रहती थी।
उसके माता-पिता दिन-रात मेहनत करते थे, लेकिन अकेले उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं।
एक दिन, गरमी के मौसम में, लड़का अपने गांव के सड़क किनारे पर खड़ा था।
वह अख़बार बेचने लाया था, क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं था। पर उस दिन कुछ खाने का मन था, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे।
राजने दिल से मेहनत की, और एक घर के पास गया और दरवाज़ा खटखटाया। दरवाज़ा खोलने वाली एक औरत की आँखें कड़ी थीं, और वह बड़ी चिढ़चिढ़ी लग रही थी।
राजने कहा, “दादी, क्या आप मुझे थोड़ा सा खाने का दे सकती हैं? मुझे बहुत भूख लगी है।”
औरत ने चिढ़कर बिना कुछ कहे ही दरवाज़ा बंद कर दिया। राज की आसांशा घट गई, लेकिन वह हार नहीं माना।
वह एक और घर की ओर बढ़ा, आशा करते हुए कि कोई दयालु आत्मा उसे थोड़ा सा खाने का देगा।
जब वह एक और दरवाज़े के सामने खड़ा हुआ, तो एक प्यारी सी लड़की ने उसको बुलाया।
“रुको,” उसने प्यारे से बोला। उसने एक गिलास दूध पकड़ा और उसे राज को दिया। उसने मुस्कान से कहा, “यह लो, तुम इसे पी सकते हो।”
राज की आंखों में आभार की आंसू थे, और वह उस दूध की खुशबू ले रहा था।
“धन्यवाद, प्यारी लड़की,” वह धीरे-धीरे पी रहा था।
सालों बीत गए, और राजने कभी वो प्यारी लड़की नहीं भूली, जिन्होंने उसे जब वह सबसे ज़्यादा जरूरत थी तब मदद की थी।
वह बिना थके-हारे मेहनत करते रहे, और एक स्कॉलरशिप मिली, जिससे उसने चिकित्सा क्षेत्र में अध्ययन करना शुरू किया।
अपने समाज के प्रति दान करने की इच्छा से प्रेरित होकर, वह एक मशहूर डॉक्टर बन गए, जिन्होंने दूसरों की मदद के लिए अपना समय और जीवन समर्पित किया।
एक दिन, उसकी नजर एक अख़बार के शीर्षक पर पड़ी।
वहां एक पहचाने चेहरे की फ़ोटो दिखाई दी – वही लड़की जिन्होंने कई साल पहले उसे दूध पिलाया था।
अब वह बीमार थी, लेकिन उसके पास उपचार के लिए पैसे नहीं थे और कोई उसकी मदद करने को तैयार नहीं था।
उस प्यारी लड़की की दयालुता को याद करके, डॉक्टर राज ने कोई देर नहीं की। उसने तुरंत उस परिवार से संपर्क किया और अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता की सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव दिया।
अपनी देखभाल और इलाज के साथ, वह लड़की को ठीक किया, और उसका परिवार हमेशा कृतज्ञ रहा।
डॉक्टर राज और वह लड़की की कहानी दयालुता के चक्र की एक दिल को छू लेने वाली कहानी बन गई।
राज ने अपनी जवानी में किसी अज्ञात दयालु कार्य का प्राप्तकरण किया था, और फिर जब दूसरों को वो बेहद जरूरत थी, तो उसने उनकी मदद की।
कहानी का सिख है कि दया और मदद के कार्य कभी वापस आकर आपके पास आ सकते हैं।
कोई भी दयालुता कभी भी बड़ी नहीं होती है, क्योंकि आप कभी नहीं जान सकते कि आप आज जो दयालुता दिखा रहे हैं, वो कल किसी को बहुत ज़रूरत हो सकती है।
दर्पण की छाया – Short moral story in Hindi