The Biggest Fool In The Kingdom moral story in Hindi

राज्य में सबसे बड़ा मूर्ख- moral story in Hindi

एक बार की बात है, विजयनगर राज्य के राजा कृष्णदेवराय को घोड़ों से बहुत प्यार था| उनके राज्य में घोड़ों की सारी नस्लों का सबसे अच्छा संग्रह था।

 एक दिन, एक व्यापारी राजा के पास आया और उसने बताया कि वह अपने साथ अरब की सर्वश्रेष्ठ नस्ल का घोड़ा लेकर आया है। उसने राजा को घोड़े का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया।

राजा कृष्णदेवराय घोड़े से प्रेम करते थे इसलिए उन्होंने व्यापारी से वह घोडा खरीद लिया| व्यापारी ने कुछ सोचा और कहा कि महाराज इस तरह की नस्ल के घोड़े उसके पास 2 ओर है।The Biggest Fool In The Kingdom moral story in Hindi

राजा को घोड़े से इतना प्यार था कि उन्होंने सोचा कि बाकी दो घोड़े भी उनके पास होने चाहिए। उन्होंने व्यापारी को बाकी घोड़ों के लिए 5000 स्वर्ण सिक्कों का अग्रिम भुगतान कर दिया था।

व्यापारी ने वादा किया कि वह दो दिनों के भीतर अन्य घोड़ों के साथ वापस आ जाएगा। दो दिन दो सप्ताह में बदल गए, और फिर भी, व्यापारी और दोनों घोड़ों का कोई संकेत नहीं था।

एक शाम, अपने मन को शांत करने के लिए, राजा अपने बगीचे में टहलने गए। वहां उन्होंने तेनाली रामा को एक कागज के टुकड़े पर कुछ लिखते हुए देखा।

यह देखकर राजा को बहुत जिज्ञासा हुई, तो उन्होंने तेनाली से पूछा कि वह क्या कर रहा है। तेनाली रामा बताने में हिचकिचा रहे थे, लेकिन आगे की पूछताछ के बाद, उन्होंने राजा को कागज दिखा दिया।

कागज पर नामों की एक सूची थी, राजा का नाम सूची में सबसे ऊपर था। सूची देते हुए तेनाली ने कहा कि महाराज, ये विजयनगर साम्राज्य के सबसे बड़े मूर्खों के नाम है| 

जैसा कि अपेक्षित था, अपना नाम देखकर राजा गुस्से में थे कि उनका नाम सबसे ऊपर था और इसके लिए तेनाली रामा से स्पष्टीकरण के लिए कहा।

तेनाली ने घोड़े की कहानी का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी राज्य के राजा को यह विश्वास करना उसकी मूर्खता थी कि कोई भी व्यापारी, एक अजनबी, 5000 सोने के सिक्के प्राप्त करके वापस आ जाएगा।

अपने तर्क पर पलटवार करते हुए, राजा ने फिर पूछा, तब क्या होता है जब व्यापारी वापस आता?  

तेनाली ने हँसते हुए बोला, महाराज अगर ऐसा होता तो आपकी जगह उस व्यापारी का नाम होता क्यूंकि उससे बड़ा मुर्ख कोई नहीं होता जो सिक्के मिलने के बाद भी आये|

शिक्षा:  

हमें कभी भी अजनबियों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए| 

Author

  • Krishna Jain

    "Stories possess a unique power to inspire and move us" Through my writing, I aim to share my deepest thoughts, emotions, and insights. I invite readers to join me on a journey into the transformative world of words. Writing Experience: Over 10 years of writing experience. Editing Experience: Served as an editor at various publishing houses, gaining extensive editing experience.

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