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पहलवान कछुआ- moral story in Hindi

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एक बार की बात है, एक जंगल में एक कछुआ रहता था| वह कछुआ कुश्ती सीख कर पहलवान बनना चाहता था।

कुश्ती सीखने के लिए एक दिन वह खरगोश के पास गया और बोला,  “प्रिय मित्र! तुम तो कुश्ती के उस्ताद हो। इस जंगल में तुम्हारे जैसा पहलवान कोई भी नहीं है| तुम्हें कुश्ती में कोई नहीं हरा सकता। मेरी इच्छा है कि मैं तुमसे कुश्ती सीखूं।”

खरगोश, कछुए की बातों से खुश हो गया और उसे कुश्ती सिखाने के लिए तैयार भी हो गया। कुछ ही दिनों में कछुआ कुश्ती की कला में निपुण हो गया।

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एक दिन एक हिरन ने उसे छेड़ना शुरू किया तो कछुए ने अपना आपा खो दिया और बहुत गुस्से में आ गया। जल्दी ही उन दोनों में लड़ाई होने लगी।

पहलवान कछुए ने हिरन को हरा दिया। लड़ाई के दौरान हिरन को कुछ चोटें भी आईं। इस घटना के बारे में सुनकर अन्य सभी दूसरे जानवर कछुए से डरने लगे।

इसी वजह से अब कछुए को अपनी शक्ति का अत्यधिक घमंड हो गया था। अब वह अपने सामने किसी भी जनवर को कुछ नहीं समझता था और साथ ही साथ सबसे लड़ता भी रहता था|

उसने अब खुद ही निर्दोष जानवरों को छेड़ना एवं परेशान करना शुरू कर दिया। एक दिन वह यह भी भूल गया था कि उसको कुश्ती खरगोश ने ही सिखाई है | वह उसका शिक्षक है।

खरगोश को जब इस बात की खबर लगी तब उसने कछुए का घमंड तोड़ने का निश्चय किया।

उसने कछुए से कुश्ती लड़ने का आग्रह किया और उसे हरा दिया। हारने से कछुए का घमंड चूर-चूर हो गया और वह सुधर गया।

शिक्षा: 

हमे कभी भी अपनी ताकत का घमंड नहीं करना चाहिए क्यूंकि कभी न कभी सबका घमंड टूटता है|

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