बंदर और दो बिल्ली की कहानी- moral story in hindi
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एक बार की बात है, एक गाँव में दो बिल्लियाँ रहती थीं।वे दोनों बहुत ही अच्छी दोस्त थीं ओर तो ओर आपस में बहुत प्यार से रहती थीं।
पूरे गाँव में उन दोनों की दोस्ती को सभी लोग जानते थे। वो दोनों बहुत ख़ुश थी। उन्हें जो कुछ भी मिलता था, उसे वे आपस में मिल-बांटकर खाया करती थी।
एक दिन दोनों अपने घर के बाहर खेल रही थी। अचानक से खेलते-खेलते दानों को ज़ोर की भूख लगने लगी। वो दोनों खाने की तलाश में निकल गई।
कुछ दूर जाने पर ही एक बिल्ली को एक रोटी नज़र आई। उसने झट से उस रोटी को उठा लिया और जैसे ही उसे खाने लगी, तो दूसरी बिल्ली ने कहा, “अरे, यह क्या? तुम अकेले ही रोटी खाने लगीं?
मुझे भूल गई क्या? मैं तुम्हारी दोस्त हूँ और हम जो कुछ भी खाते हैं आपस में बाँटकर ही खाते हैं। आज तुम अकेले खाऊँगी?
पहली बिल्ली ने सारी बातें सुनकर रोटी के दो टुकड़े किए और दूसरी बिल्ली को एक टुकड़ा दे दिया। यह देखकर दूसरी बिल्ली फिर से बोली, “यह क्या, तुमने मुझे छोटा टुकड़ा दे दिया। यह तो ग़लत बात है।
बस, इसी बात पर दोनों में झगड़ा शुरू हो गया और झगड़ा इतना बढ़ गया कि सारे जानवर वहाँ इकट्ठा हो गए। इतने में ही एक बंदर आया।
दोनों को झगड़ते देखकर वह बोला, “अरे बिल्ली रानी, क्यो झगड़ा कर रही हो?”
दोनों ने अपनी अपनी दुविधा बंदर को बताई, तो बंदर ने कहा, “बस, इतनी सी बात, मैं तुम्हारी इसमें मदद कर सकता हूँ। मेरे पास एक तराज़ू है।

moral story
उसमें मैं ये दोनों टुकड़े रखकर पता कर सकता हूँ कि कौन-सा टुकड़ा बड़ा है और कौन-सा छोटा। फिर हम दोनों टुकड़ों को बराबर कर लेंगे। जिससे दोनों को बराबरी का टुकड़ा मिलें। बोलो मंज़ूर?”
दोनों बिल्लियों बंदर की बात पर तैयार हो गईं। बंदर झट से पेड़ पर चढ़ा और वहाँ से तराज़ू ले आया। उसने दोनों टुकड़े एक-एक पलड़े में रख दिए।
तोलते समय उसने देखा कि एक पलड़ा भारी था, तो वो बोला, “अरे, यह टुकड़ा बड़ा है, चलो दोनों को बराबर कर देता हूँ और यह कहते ही उसने बड़े टुकड़े में से थोड़ा-सा टुकड़ा तोड़कर खा लिया।
इस तरह से हर बार जो भी पलड़ा भारी होता था, वह उस वाली तरफ़ से थोड़ी सी रोटी तोड़कर खा लेता था। दोनों बिल्लियाँ पहले तो देखती रही लेकिन अब घबरा गईं।
फिर भी वे दोनों चुपचाप बंदर के फैसले का इंतज़ार करती रहीं, लेकिन जब दोनों ने देखा कि दोनों टुकड़े बहुत छोटे-छोटे रह गए, तो वे बंदर से बोलीं, “आप चिंता मत करो, अब हम लोग अपने आप रोटी का बंटवारा कर लेंगी।”
इस बात पर बंदर बोला, “जैसा आप दोनों को ठीक लगे। मैं तो आप दोनों की मदद कर रहा था।
अब मुझे भी अपनी मेहनत कि कुछ तो मज़दूरी मिलनी ही चाहिए ना, इतना कहकर बंदर ने रोटी के बचे हुए दोनों टुकड़ों को भी अपने मुँह में डाल लिया और वहाँ से चला गया।
बेचारी बिल्लियों को वहाँ से खाली हाथ ही लौटना पड़ा।अब दोनों बिल्लियों को अपनी ग़लती का एहसास हो चुका था और उन्हें समझ में भी आ चुका था कि आपस की फूट बहुत बुरी होती है। दूसरे इसका फायदा भी उठा सकते हैं।
शिक्षा:
हमें आपस में झगड़ा नहीं करना चाहिए क्यूँकि कोई बाहरी व्यक्ति उसका फ़ायदा उठा सकता है।
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