घमंडी बाघ| Haughty Tiger Panchatantra moral story In Hindi

घमंडी बाघ- moral story in Hindi

Ghamandi bagh Panchatantra ki naitik kahani Hindi mein

एक बार की बात है, एक बहुत घने जंगल में एक बाघ रहता था। वह हर रोज की तरह अपनी गुफा से बाहर निकला और शिकार की तलाश में चला गया।

tiger lives in a dense, lush forest
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थोड़ी दूर पर ही उसे एक हिरण दिखाई दिया और उसने उसका शिकार कर दिया। जब बाघ अपने भोजन का आनंद ले रहा था, तभी खाते-खाते एक छोटी हड्डी उसके जबड़े में फंस गई।

उसने अपने पंजे से हड्डी को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, पर वह उसे बाहर नहीं निकाल पाया। एक छोटी सी हड्डी ने बाघ की आँखों में आँसू तक ले दिए।

दिन बीतते गए लेकिन बाघ उस फसी हुइ हड्डी को बाहर नहीं निकाल सका और न ही उसकी वजह से वह कुछ खा पा रहा था।

अब तो उसे लगने लगा था कि वह भुखमरी से मर जायेगा। वह जानता था कि उसे अपने गले से हड्डी जल्दी से जल्दी निकालनी होगी लेकिन उसकी सारी कोशिश बेकार हो जाती थी।

गधा और मूर्ति – moral story in Hindi

जैसे-जैसे दिन बीतते गए, बाघ बहुत ज्यादा कमजोर होता गया। उसे पता नहीं चल रहा था कि इस हड्डी का क्या करना है। वह बस अब अपनी मौत का इंतजार करने लगा था।

फिर, एक दिन जब बाघ बहुत बीमार हालात में एक पेड़ के नीचे बैठा था, तो उसने एक लकड़हारा देखा। लकड़हारा भी उस ज़ख़्मी बाघ को देखकर उसके पास गया।

बाघ जे पास जाकर लकड़हारे ने पूछा “तुम ठीक हो? ये तुम मुँह खोल के क्यों बैठे हो?”

“कुछ दिनों पहले मेरे दांतों के बीच में एक हड्डी फंस गई थी। तब से मैं ठीक से खाना नहीं खा पा रहा हूँ। अब तो मुझे यकीन आने लगा है कि मैं इस वजह से भुखमरी से मर जाऊंगा” बाघ ने जवाब देते हुए लकड़हारे से कहा।

इतना सुनकर लकड़हारे ने कहा कि वह सिर्फ एक शर्त पर ही हड्डी निकलेगा।

बाघ ने सुनकर उससे बोला शर्त, कैसी शर्त। फिर लकड़हारा बोला कि तुम जब भी आज से कोई भी शिकार करोगे तो उस मे से एक छोटा मांस का टुकड़ा उसके लिए लाना होगा।

अब, बाघ बहुत ज्यादा हताश हो गया था। लेकिन ज़िंदा रहने के लिए उसके पास और कोई तरीका भी नहीं था। तो उसने लकड़हारे से सौदा पक्का कर दिया।

अब लकड़हारे ने बाघ के मुँह से हड्डी निकाली और बाघ को उसके दर्द से राहत मिली। जिस क्षण हड्डी निकली, उसी क्षण बाघ शिकार की तलाश में चला गया।

कुछ घंटों बाद, लकड़हारे ने बाघ को अकेले ही अपने भोजन का आनंद लेते हुए पाया।

यह देखकर उसे बहुत गुस्सा आया और उसने उससे गुस्से में पूछा “क्या तुम अपने वादे के बारे में भूल गए हो? ”

moral story in hindi

“तुमको अपने आप को भाग्यशाली समझना चाहिए,” बाघ ने लकड़हारे से कहा।

“मेरे मुंह में घुसने पर मैं तुम्हें आसानी से खा सकता था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। अब दूर हो जाओ यहा से फत्तू” बाघ ने कहा।

यह सुनकर लकड़हारा बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया। उसने उसी वक्त एक लकड़ी के टुकड़े को बाघ की आँख में मार दिया।

“मेरी आँख, मेरी आँख! तुमने मेरी आंख में छेद कर दिया! मैं तुम्हे माफ़ नहीं करूँगा ! ” दर्द भरी आवाज में बाघ चिल्लाया।

इस बात पर लकड़हारे ने बाघ को उत्तर देते हुए कहा, “लेकिन तुम्हे अपने आप को भाग्यशाली समझना चाहिए, क्योंकि मैं आसानी से तुम्हारी दूसरी आँख भी निकाल सकता था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया।”

शिक्षा:

हम जो बोते है वो ही पाते है। हमारे कर्मों का फल हमे हमेशा मिलता है।

Ghamandi bagh Panchatantra ki naitik kahani Hindi mein

Haughty Tiger Panchatantra moral story In Hindi

Author

  • Krishna Jain

    "Stories possess a unique power to inspire and move us" Through my writing, I aim to share my deepest thoughts, emotions, and insights. I invite readers to join me on a journey into the transformative world of words. Writing Experience: Over 10 years of writing experience. Editing Experience: Served as an editor at various publishing houses, gaining extensive editing experience.

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