बन्दर और चिड़िया – moral story in Hindi 

bandar aur chidiya Panchatantra ki naitik kahani Hindi me 

एक बार की बात है, ठण्ड के दिन शुरू होने वाले थे| जंगल के सभी जानवर आने वाले कठिन मौसम के लिए तैयारी करने में लगे हुए थे।

उसी जंगल के एक पेड़ पर एक चिड़िया रहती थी। हर साल की तरह वह भी ठण्ड के मौसम की तयारी कर रही थी|

उसने भी अपने लिए एक शानदार घोंसला तैयार किया था और अचानक होने वाली बारिश और ठण्ड से बचने के लिए उसे चारो तरफ से घांस -फूंस से ढक दिया था।

सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन अचानक से बिजली कड़कने लगी और देखते–देखते घनघोर बारिश होने लगी थी।

बारिश के कारण ठण्ड भी बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी और सभी जानवर अपने -अपने घरों की तरफ भागने लगे।

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वह चिड़िया भी अपने घोंसले में वापस जल्दी से वापस आ गई, और ठण्ड से बचकर आराम करने लगी।

उसे आये अभी कुछ ही वक़्त बीता था कि एक बन्दर खुद को बारिश से बचाने के लिए पेड़ के नीचे आ पहुंचा।

चिड़िया ने बन्दर को देखते ही कहा, “तुम तो इतने होशियार बने फिरते हो फिर भी तुमने ऐसे मौसम से बचने के लिए अपना घर क्यों नहीं बनाया?”

यह सुनकर बन्दर को बहुत गुस्सा आया लेकिन वह चुप ही रहा और पेड़ की आड़ में खुद को बचाने का प्रयास करने लगा।

थोड़ी देर शांत रहने के बाद चिड़िया फिर से बन्दर से बोली, “पूरी गर्मी इधर-उधर आलस में बिता दी। अच्छा होता कि तुम अपने लिए एक घर बना लेते।”

यह सुनकर बन्दर को बहुत गुस्सा आया और उसने गुस्से में कहा, “तुम अपने से मतलब रखो, मेरी चिंता छोड़ दो।”

थोड़ी ही देर में हवाएं भी बहुत तेजी से चलने लगी और अब बारिश रुकने का नाम भी नहीं ले रही थी। बेचारा बन्दर ठण्ड से काँप रहा था, और खुद को ढंकने की हर सम्भव कोशिश कर रहा था।

पर चिड़िया ने तो मानो उसे छेड़ने की कसम खा रखी थी, वह फिर से बंदर से बोली, “काश कि तुमने थोड़ी अकल दिखाई होती तो आज यह हालत नहीं होती। कम से कम, इस घटना से सबक लेकर अब तुम घर बनाना सीख लेना| ”

इतना सुनते ही बन्दर को और गुस्सा आ गया और वह गुस्से से तुरंत ही पेड़ पर चढ़ने लगा, और बोला “भले मैं घर बनाना नहीं जानता लेकिन मुझे घर तोड़ना बहुत अच्छे से आता है” और ये कहते हुए उसने चिड़िया का घोंसला तहस नहस कर दिया|

अब चिड़िया भी बन्दर की तरह बेघर हो चुकी थी और ठण्ड से काँप रही थी।

शिक्षा:

यदि हम किसी की कोई मदद नहीं कर सकते तो हमें उसे बेकार के उपदेश भी नहीं देने चाहिए।

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