ईर्ष्या करने वाले शेर का सबक- Moral Story in Hindi
एक बार की बात है, भारत के एक जंगल में एक बहुत ताकतवर शेर राजा नाम का रहता था।
वह गर्व से घूमता था, जानते हुए कि वह जंगल के सबसे मजबूत जानवर है। उसके गहरे गरजते शोर सभी पेड़-पौधों में गूंजते थे, जिससे सभी प्राणियों का सम्मान होता था।
लेकिन राजा का एक कमी था जो उसकी शानदार पहचान को धुंधला कर देती थी।
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वह ईर्ष्या में जल रहा था, विशेष रूप से उस सुंदर मोर राजू से, जिसकी रंगीन पंखों ने सबका ध्यान खींच लिया था। राजू की सुंदरता का कोई तुलना नहीं थी और दूसरे जानवर उसकी सुंदरता की प्रशंसा दिन-रात करते थे।
यह निरंतर प्रशंसा राजा के मन को चीर रही थी, जिससे उसकी ईर्ष्या बढ़ रही थी।
वह उसी प्रशंसा का हकदार था और विश्वास करता था कि उसकी तारीफ का पत्र बनना उसका अधिकार है, क्योंकि वह जंगल के सबसे मजबूत जानवर है।
राजा अपने आप को राजू की सुंदरता चुरा लेने में लीन हो गया, आशा करते हुए कि वह उसे चुरा कर अपने ऊपर महिमा की सुंदरता चढ़ा पाएगा।
एक दिन, राजा ने चालाक हाथी गणेशा के पास जाकर चालाक योजना बनाई। गणेशा बुद्धिमान और दयालु होने के लिए मशहूर थे। राजा ने गणेशा को राजू की सुंदरता का राज बताने के लिए उलझाया।
शुरू में गणेशा, शांति और समृद्धि का मान रखते थे, इसलिए वह राजू का राज व्यक्त करने से इनकार कर दिया। लेकिन राजा के लगातार आग्रह और झूठी प्रशंसा ने उनकी सुरक्षा को तोड़कर उन्हें मना लिया।
किसी से झूठी प्रशंसा करने के बाद, राजा ने गणेशा को यह बताया कि राजू के पंख भगवान की देन हैं, जो उसे उसकी दया और विनम्रता के कारण प्राप्त हुए हैं।
राजा की आंखों में नई उत्साह जगा। वह सोचता था कि वह भगवान को ढूंढ़ने के लिए यात्रा पर निकल जाएगा और अपने लिए वही उपहार मांगेगा। प्राणी हैरान होकर देखते रहे, जब एक बार गर्व से भरा शेर, जिनके पंख धुआं से उनका रंग बदल देंगे, बेवकूफी की यात्रा पर निकल गया।
दिन हफ्ते में बदल गए और हफ्ते महीने में, लेकिन राजा की यात्रा बेकार साबित हुई।
थक कर, भूखे और निराश होकर, उसे पता चला कि वह अहंकार और ईर्ष्या में लिप्ता गया था। उसने अपनी असली सुंदरता, जो उसे जंगल का राजा बनाती थी, को भूल गया था।
जब राजा अपने घर की ओर मुड़ते हुए चल रहा था, उसने एक खाली जगह पर पैर रखा।
अपने आश्चर्यजनक दृश्य से प्रभावित होकर उसने देखा कि वह जगह फूलों और हरे-भरे पेड़-पौधों से भरी हुई है। एक शांति का अनुभव उस पर छा गया, जब वह इस सुंदरता को देखता रहा।
अचानक, एक कोमल आवाज़ शांति को तोड़ दिया। यह राजू, मोर, एक पत्थर पर सुंदर रूप से बैठा था।
राजू की आवाज़ दया और विनम्रता से भरी हुई थी, जब वह राजा से बात करता था, “प्रिय राजा, तुम्हारी शक्ति और बल अनोखी है। अपनी असली प्रकृति को स्वीकार करने और उसे इस्तेमाल करने का समय आ गया है, जिससे तुम जंगल का संरक्षण और निर्देशन कर सकते हो।
भगवान ने हमें अलग-अलग गुण दिए हैं, और इन्हें समझने और पालने से ही हम सच्ची खुशी पाते हैं।”
राजा के दिल में एक बोझ हल्का हुआ, जब वह राजू की बात सुना।
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उसे अब यह समझ में आया कि उसकी शक्ति राजू की सुंदरता से कम नहीं होती, बल्कि उसके साथ में संपन्न होती है। शेर और मोर, जो एक समय के शत्रु थे, अब दोस्त बन गए।
नई मुक्ति और विनम्रता से भरपूर, राजा जंगल में वापस लौट आया, एक बदला हुआ शेर।
उसने अपनी शक्ति का उपयोग प्राणियों की सुरक्षा और देखभाल के लिए किया, जबकि राजू उन्हें अपनी मनमोहक सुंदरता से प्रभावित करता रहा। जंगल में संभावना और सुकून के साथ, प्राणी खुशी और शांति से जीने लगे।
और इस तरह, आक्रोशित शेर की कहानी पीढ़ियों के बीच एक सीख बन गई।
यह सिखाया कि सच्ची सुंदरता और महत्व सिर्फ बाहरी दिखावट पर नहीं निर्भर करते, बल्कि अपनी असली प्रकृति और गुणों पर। हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारे अंदर होती है, और इसे स्वीकार करने पर हम सच्ची खुशी प्राप्त कर सकते हैं।
ईर्ष्या करने वाले शेर का सबक- Moral Story in Hindi