बूढ़ी दादी का मुर्गा-moral story in Hindi
budhi daadi ka murga Panchatantra ki naitik kahani Hindi mein
एक बार की बात है, रामपुर गांव में एक बूढ़ी दादी रहती थी। उनके पास उनके पूर्वजों की बहुत सारी जमीन थी।
उस जमीन को बनाए रखने और उनकी देखभाल करने के लिए दादी जी ने दो नौकर रखे हुए थे। बूढ़ी दादी के पास एक मुर्गा भी था जो हर सुबह आवाज़ देकर उसे उठता था।
उसकी आवाज़ से जब वह जगती थी तब फिर वह अपने नौकरो को भी जगा देती थी और उन्हें काम पर लगा देती थी।
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उन नौकरो को सुबह-सुबह इतनी जल्दी उठना पसंद नहीं था। वे दोनों हमेशा यही सोचा करते थे कि काश कुछ ऐसा हो जाये जिससे की वह आराम से सो सके।
उन्हें लगता था कि दादी उस मुर्गे की वजह से उन्हें सोने नहीं देती क्योंकि जब वह आवाज करता था तभी दादी उठती थी और उन्हें जगाती थी।
एक दिन एक नौकर ने कुछ सोचा और दूसरे नौकर से कहा “क्यों न हम दोनों मिलकर उस मुर्गे को मार डाले। यदि मालकिन सुबह मुर्गे की आवाज नहीं सुनेगी तो उठेगी कैसे।”
यह सुनकर दूसरे नौकर ने बोला, “हाँ हाँ! और अगर वह सुबह जल्दी जगेंगी नहीं तो हमें भी नींद से कौन उठाएगा। फिर हम भी आराम से सो सकेंगे।” दोनों को यह बात बहुत पसंद आ रही थी।
दूसरे दिन उन दोनों नौकरो ने मिलकर मुर्गे को मार डाला। अब जब मुर्गा ही न रहा तो कौन सुबह सुबह आवाज देता?
अब बूढ़ी दादी को उठने का समय पता ही नहीं चलता था। इसलिए अब वह बहुत पहले जग जाती थी। और जब एक बार वह जग जाती तो नौकरों को भी सोने नहीं देती थी।
मुर्गा तो मर गया पर नौकरों की परेशानी पहले से ज्यादा बड़ गयी थी। अब उन्हें रोज बहुत जल्दी उठाना पड़ता था।
शिक्षा:
हमे कोई भी काम बिना विचार के नहीं करना चाहिए।
budhi daadi ka murga Panchatantra ki naitik kahani Hindi mein
बूढ़ी दादी का मुर्गा | Old grandmother’s cock moral story in Hindi