रक्षा बंधन- essay in Hindi
रक्षा बंधन हिंदुओं का पवित्र त्यौहार है। यह प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्यौहार में बहिन अपने भाई के हाथ पर एक पवित्र धागा व डोरी बाँधती है, जिसे राखी कहते है।
रक्षा बंधन का तात्पर्य है कि रक्षा के लिए बंधन, अर्थात् जिसके हाथ पर राखी बांधी जाती है, वह बाँधने वाले की रक्षा के लिए वचन बद्ध हो जाता है।
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प्राचीन काल में शिष्य गुरुओं के आश्रम में पढ़ने के लिए जाते थे। श्रावण पूर्णिमा से ही विद्यालय में विद्याध्ययन प्रारम्भ करना शुभ माना जाता था।
उस दिन शिष्य अपने गुरु के हाथ पर एक डोरी बाँध कर अपने जीवन का भार गुरु जी को सौंपता था। धीरे-धीरे यह डोरी भाई-बहिन के पवित्र प्रेम का प्रतीक बन गया।
रक्षा बंधन के पवित्र पर्व पर बहिन अपने भाई के हाथ पर राखी बाँधती है। भाई व बहिन दोनों इस त्यौहार की कई दिनों से प्रतीक्षा करते हैं।
इस शुभ अवसर पर बहिन अपने भाई को पकवान व मिठाई भी खिलाती है। भाई अपनी बहिन को एक उत्तम उपहार भी भेंट करता है। इसके अतिरिक्त ब्राह्मण, यजमान के हाथों पर, और शिष्य, गुरु जी के हाथों पर राखी बाँधते है।
राखी का पर्व एक महत्त्वपूर्ण पर्व है। यह दो दिलों को मिलाने वाला पर्व है। समाज में कई ऐसी बहिनें भी हैं जिनका अपना कोई भी सगा भाई नहीं होता है।
ऐसे में वे किसी अन्य पुरुष को राखी बाँधकर, उसको अपना धर्म का भाई बना लेती है। फिर प्रतिवर्ष उनके हाथों में राखी बाँधती है। इस प्रकार उनको एक भाई का अभाव महसूस नहीं होता है।
इतिहास में कई ऐसे भी उदाहरण है जिनमें बहिन की रक्षा करने के लिए भाइयों ने अपनी जान की बाज़ी भी लगा दी। अर्थात् यह पर्व अपने कर्तव्य के प्रति सदा जागरुक रहने की प्रेरणा देता है।
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