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स्वार्थी बकरी – moral story in Hindi

swarthi bakari Panchatantra ki naitik kahani Hindi me

एक बार की बात है, एक बैल जंगल में घूम रही थी।अचानक से उसके पीछे एक शेर पड़ गया।

शेर से बचने के लिए काफी देर तक बैल भागता रहा और अंतत: उसे एक गुफा दिखाई दी। वह जल्दी से शेर को चकमा देकर गुफा में घुस गया।

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उस गुफा में पहले से एक बकरी रहती थी। उसने बैल को देखते ही गुफा से बाहर निकलने का आदेश दे दिया और सींगों से उसे बाहर की ओर धकेलने लगी।

उसका ऐसा बरताव देखकर बैल बोला, “रुको रुको, एक शेर मेरा पीछा कर रहा है और मैंने उससे बचने के लिए यहाँ पर शरण ली है। जैसे ही शेर यहाँ से चला जाएगा, मैं भी यहाँ से उसी वक्त चला जाऊंगा।”

लेकिन बकरी ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी और उसे सींग मारते हुए बोली, “मैं कुछ नहीं जानती, बस तुम यहाँ से निकल जाओ। यह गुफा सिर्फ और सिर्फ मेरी है।”

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बैल जब बकरी को समझाते-समझाते बहुत ज्यादा थक गया तब वह गुस्से से बोला, “मैं तुम्हारी बतमीज़ी सहन कर रहा हूँ तो तुम यह मत समझना कि मैं तुमसे डरता हूँ। इस शेर को यहाँ से निकल जाने दो, उसके बाद तुम्हें बताऊंगा कि मैं कितना बड़ा और ताकतवर हूँ।”

बैल की यह बात सुनकर बकरी घबरा गई और बैल से माफ़ी मांगते हुए बोली की उसने नादानी में ऐसी गलती कर दी| वह अपने इस बर्ताव के लिए बहुत शर्मिंदा भी थी|

शिक्षा:

हमे हमेशा मुसीबत के समय दूसरों की मदद करनी चाहिए, न कि उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान करना चाहिए।

स्वार्थी बकरी| Selfish Goat Panchatantra moral story in Hindi

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