साँप और चिड़िया-moral story in Hindi

Saanp aur chidiya ki Panchtantra Ki Kahani Hindi me 

एक बार की बात है, एक बहुत घना जंगल था। उस जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पेड़ की खोल में बहुत सारी छोटी-छोटी चिड़ियाँ रहती थी।

उसी पेड़ की जड़ में एक साँप भी रहता था। वह चिड़ियों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था।

एक बार तो एक चिड़िया साँप के द्वार बार-बार अपने बच्चों को खाये जाने पर बहुत दुःखी और परेशान होकर नदी के किनारे आ बैठी।

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उसकी आँखों में आँसू भरे हुए थे | उसे इस प्रकार दुखी देखकर नदी किनारे रह रहे एक मेंढक ने पूछा, “क्‍या बात है, तुम रो क्‍यों रही हो?”

यह सुनकर चिड़िया ओर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी, और रोते-रोते उसने मेंढक से कहा, “बात यह है कि मेरे बच्चों को साँप बार-बार खा जाता है। कुछ उपाय भी नहीं सुझता कि किस तरह से इस साँप का नाश किया जाए। यदि आपके पास कोई उपाय है तो कृपया मुझे बताएं।”

मेंढक ने चिड़िया को एक अच्छे दोस्त की तरह एक बहुत अच्छी योजना बताते हुए कहा, “तुम एक काम करो, मांस के कुछ टुकड़े लेकर नेवले के बिल के सामने डाल दो।

इसके बाद छोटे-छोटे टुकड़े उसके बिल से शुरु करके साँप के बिल तक बखेर दो। नेवला उन टुकड़ों को खाता-खाता साँप के बिल तक आ जाएगा और वहाँ साँप को भी देखकर उसे मार डालेगा।”

चिड़िया ने मेंढक की बात मान ली और उसके कहा अनुसार ही किया। नेवले ने साँप को तो खा लिया, किन्तु साँप के बाद उस वृक्ष पर रहने वाली चिड़ियों को भी खा डाला।

चिड़िया और मेंढक ने उपाय तो सोचा, किन्तु उसके अन्य दुष्परिणाम नहीं सोचे।

शिक्षा:

हमें हमेशा कुछ भी करने से पहले उससे होने वाले लाभ और हानि दोनों के बारे में सोचना चाहिए।

Saanp aur chidiya ki Panchtantra Ki Kahani Hindi me 

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