भेड़िया और सारस- moral story in Hindi
bhediya aur saras ki naitik kahani Hindi mein
एक बार की बात है, एक बहुत सुंदर जंगल था। उसमें एक भेड़िया इधर-उधर घूम रहा था। घूमते घूमते अचानक से उसे जंगल में बैल का गोश्त पड़ा मिला।
उसने ललचाकर जल्दी से गोश्त खाना शुरू कर दिया। लेकिन जल्दी की वजह से हड्डी का एक टुकड़ा उसके गले फंस गया।
जिसके कारण उसे साँस लेने तक में मुश्किल होने लगी। भेड़िए को याद आया कि पास ही एक सारस रहता है। भेड़िया सारस के पास गया और उससे सहायता मांगने लगा।
सहायता के बदले भेड़िए ने सारस को इनाम देने का भी वादा किया। सारस को भी उस पर दया आ गई। वह भेडिए की सहायता करने को तैयार हो गया।
भेड़िए ने अपना मुँह पूरा खोल दिया और सारस ने आसानी से उसके गले में फैंसी हड्डी अपनी लंबी चोंच से बाहर निकाल दी।
इसके बाद सारस ने भेड़िए को उसका वादा याद दिलाते हुए उससे अपना इनाम माँगा।
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“कैसा इनाम ?” भेड़िया अपनी बात से मुकर गया। और सारस से बोलने लगा, “जब तुमने अपनी चोंच मेरे मुँह में डाली थी, तब मैं चाहता तो तुम्हें तभी खा जाता! तुम्हें तो मेरा आभारी होना चाहिए कि मैंने तुम्हें जिंदा छोड़ दिया।”
सारस जब तक कोई जवाब देता, उससे पहले ही स्वार्थी भेड़िया वहाँ से भाग चुका था।
जब सारस ने यह बात जंगल के सभी जानवरों को बताई तो सबने भेड़िए को जंगल से निकालने का फ़ैसला किया।लेकिन भेड़िया जंगल से कही भी नहीं गया।
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इसीलिए सबी जानवरों ने भेड़िए से बात करना बंद कर दिया और वह अब अकेला रहे गया।
शिक्षा:
हमें मदद उसी की करनी चाहिए जो मदद के लायक़ हो।
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