महात्मा गौतम बुद्ध-essay in Hindi
Mahatma Gautam Buddha Hindi me nibandh
भारत देश में कई महापुरुष पैदा हुए| उनमें से एक थे गौतम बुद्ध जिनका नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है|
गौतम बुद्ध, बौद्ध धर्म के संस्थापक थे| उन्होंने अपने समय में धार्मिक पाखंडो को दूर कर, एक नया धर्म चलाया| जिसके बाद उनके बहुत से अनुयायी बन गए|
उन्होंने अपने उद्देश्यों द्वारा जनता का एक नया मार्गदर्शन किया| महात्मा बुद्ध का जन्म ईसवी पूर्व 623 वर्ष में शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोधन के यहां हुआ था|
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उनकी राजधानी कपिल वस्तु थी| बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था| उनकी माता का नाम माया देवी था|
कुमार सिद्धार्थ का मन घर बार में नहीं लगता था| उनके पिता उन्हें सदा खुश रखना चाहते थे| उन्होंने कुमार की सुख सुविधा के लिए सारे साधन जुटा रखे थे| लेकिन कुमार का मन उखड़ा हुआ सा रहता था|
सिद्धार्थ ने बचपन में शास्त्र व शस्त्र दोनों प्रकार की विद्या सीख ली थी| युवा होने पर कुमार सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा नाम की एक राजकुमारी के साथ कर दिया गया
कुछ समय बाद उनका राहुल नाम का एक पुत्र भी पैदा हुआ| उन्होंने देखा मनुष्य जन्म लेता है और मर जाता है| सुख है, दुख है, बुढ़ापा है, और रोग है|
उन्होंने देखा इन सब से सारा संसार पीड़ित हो रहा है| इन से कैसे छुटकारा पाया जाए| वे इसका कोई स्थाई हल खोजना चाहते थे|
वे सत्य वस्तु का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे| एक दिन वे अपने पुत्र व पत्नी को सोया हुआ छोड़कर अर्धरात्रि में घर से चले गए और वैराग्य को प्राप्त हो गए|
सिद्धार्थ इधर-उधर भटकते हुए ज्ञानियों व ऋषियों के आश्रम में गए| लेकिन उन्हें वहां सत्य ज्ञान का बोध नहीं हुआ|
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वे भयानक जंगलों में घूमते रहे और कठोर तप करने लगे लेकिन उनकी ज्ञान की प्यास नहीं बुझी| उनका शरीर बहुत कमजोर हो गया था|
उन्हें कहीं भी शांति प्राप्त नहीं हुई अंत में उन्हें किसी महान योगी से सत्य ज्ञान प्राप्त हुआ| वह गया के निकट वटवृक्ष के नीचे ध्यान मग्न होकर बैठ गए और वहीं उनकी समाधि लग गई|
उन्हें सत्य का प्रत्यक्ष बोध हो गया| तब से वह बुद्ध नाम से संसार में प्रसिद्ध हो गए|
ज्ञान का बोध हो जाने के बाद वे सत्य ज्ञान के प्रचार के लिए निकल पड़े| वे जहां भी जाते थे उनके उद्देश्य सुनकर लोग प्रभावित हो जाते थे|
थोड़े ही दिनों में एक निर्धन से लेकर राजा तक उनके शिष्य बन गए थे| सत्य, अहिंसा, सभी प्राणियों से समान व्यवहार, शुभ कर्म, सब की सेवा, ये 5 बुद्ध जी की प्रमुख शिक्षाएं थीं|
कुशीनगर के पास 80 वर्ष की आयु में बुद्ध जी का महा निर्माण हो गया| उनके बाद उनके द्वारा स्थापित बौद्ध धर्म संसार का महान धर्म बन गया|
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